तीसरा खंबा

कब्जा संपत्ति के स्वामित्व का प्राथमिक साक्ष्य है

समस्या-

भानू शुक्ला ने गोंडा, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

हमारा परिवार पिछ्ले 50 वर्षों से एक मंदिर के बगल बने निजी मकान में रह रहा है, आगे की तरफ हमारी दुकाने हैं। साथ ही मंदिर के आस पास बने भवनों पर हमारे चाचा अपना अधिकार जताते हैं। मेरे पिता का देहांत 2016 में हो चुका है। गत दिनों हमरे मकान की दीवार व छत जर्जर हो कर गिर गयी थी, जब हम उसे बनवाने लगे तो चचा ने फर्जी तहरीर देकर कहा कि ये मंदिर की संपत्ति है व पुलिस से डरा कर काम बंद करवा दिया है। अब वो उस मकान को कब्जा करना चाह रहे हैं। मेरे पिता व चचा के बीच सहसर्वरकारी का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है। मकान का बिजली बिल व नगर पालिका रिकॉर्ड हमारे पिता के नाम है। कृपया उपाय बतायें।

समाधान-

आप ने यह नहीं बताया कि जिस संपत्ति को आप अपने पिता की बता रहे हैं उस के स्वामित्व के क्या दस्तावेज/ रिकार्ड आप के पास है। यदि किसी संपत्ति के स्वामित्व का कोई रिकार्ड कहीं किसी के पास नहीं होता है तो उस पर लंबे समय से कब्जा ही उस के स्वामित्व का प्राथमिक सबूत होता है। मकान का बिजली का बिल और नगरपालिका में आप के पिता का नाम कब्जे का प्राथमिक सबूत है और इस आधार पर उस का स्वामित्व भी आप के पिता का ही है। पुलिस ने वैसे ही आपका काम बंद करवा दिया है, पुलिस को कोई काम बंद कराने का अधिकार नहीं है। आप चाहे तो काम पुनः आरंभ कर सकते हैं। पुलिस फिर से कुछ कहे तो आप पुलिस के उच्चाधिकारियों को शिकायत लिखें कि वह बेवजह दखल कर रही है। यदि किसी व्यक्ति को किसी तरह की आपत्ति काम चालू करने पर है तो वह अपने अधिकार की स्थापना के लिए दीवानी अदालत जाए।

आप के पिता और चाचा के बीच किस तरह का मुकदमा चल रहा है यह एक शब्द सहसर्वरकारी से स्प्ष्ट नहीं होता। इस शब्द का क्या अर्थ है यह हमें स्पष्ट नहीं है। यदि कोई मुकदमा चल रहा है तो आप का कोई वकील भी होगा। उस से सलाह करें, आप उस की सलाह से संतुष्ट न हों तो दीवानी मामलों के किसी वरिष्ठ स्थानीय वकील से सलाह करें और उस के आधार पर कार्यवाही करें।

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