समस्या-
बाबूलाल ने महमूद नगर, पोस्ट दारी चौरा, जिला बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से पूछा है-
हम धोबी जाति से हैं। हम लोग पहले से ही बहुत गरीब हैं,और वर्तमान में भी पहले जैसी स्थिति है। जब हमारे दादा जी जिंदा थे तभी उनके नाम से घर बनाने के लिए 3 बिस्वा जमीन का आवासीय पट्टा दिया गया था। पट्टे का कागजात मेरे पास है। लगभग 40 साल से हम उस जमीन पर ,नीव डाल करसाग सब्जी बो देते हैं। पर अभी तक हम उस जमीन पर घर नही बना पाए हैं। आये दिन ग्राम प्रधानऔर गांव के पैसे वाले लोग, हमें जमीन छोड़ने के लिए धमकाते हैं, वो कहते हैं कि ये जमीन तहसील में तुम्हारे बाबा के नाम से दर्ज नहीं है, हम क्या करें?
समाधान –
आप के दादाजी के नाम से पट्टा जारी हुआ था। इस कारण उसका तहसील के रिकार्ड में इन्द्राज जरूर होगा। आजकल तो सभी राज्यों का रिकार्ड ऑनलाइन है। आप खुद या इन्टरनेट के मामले में मामूली जानकार रिकार्ड को तलाश कर सकता है कि जिन खसरा नंबरों की जमीन आपको आवंटित की गयी थी वह अब किसके नाम दर्ज है? यदि रिकार्ड मिल जाए तो उसकी प्रमाणित प्रति तहसील से प्राप्त कर के अपने पास रखें।
पट्टा आपके नाम से है, पुराना है और आप चालीस साल से उस जमीन पर काबिज भी हैं। इस कारण आपको उस जमीन से नहीं हटाया जा सकता है। लेकिन यदि पट्टा आवासीय उद्देश्य के लिए दिया गया था तो उस पर आवास होना चाहिए। जब कि आप उस पर बागवानी कर रहे हैं। बागवानी तो आवास में भी की जा सकती है। इस कारण यदि पट्टे की जमीन पर कोई आवास निर्माण नहीं है तो कम से कम एक दो कमरे कच्चे खड़े करके उन पर छप्पर ही डाल लें जिससे वहाँ आवास भी हो जाए। शेष भूमि पर आप बागवानी करते रह सकते हैं।
यदि आपको लगता है कि आपको वहाँ से कभी भी हटाया जा सकता है तो किसी अच्छे स्थानीय वकील से मिलिए जो दीवानी मामलों की वकालत करता हो। ग्राम पंचायत, राज्य सरकार को पक्षकार बना कर पट्टे के आधार पर स्थायी निषेषाज्ञा के लिए दावा कराइए कि आपको उस जमीन से बेदखल नहीं किया जाए। दावे के साथ ही अस्थायी निषेधाज्ञा का आवेदन भी प्रस्तुत कराएँ और दावे के निर्णय तक के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त करें।