तीसरा खंबा

पति या पत्नी को साथ रहने को कानून बाध्य नहीं कर सकता।

Desertedसमस्या-

ज्योतिका ने जयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरी शादी को 25 साल हो चुके हैं. मेरा पति(49 वर्ष) कई लड़कियों से संपर्क रखता आ रहा है। अभी मोजूदा स्थिति में एक लड़की(30 वर्ष) से संपर्क बना रखा है। इस में मेरे पति के माता-पिता ने भी साथ दिया। वे दोनों नया मकान(जयपुर में) बनाकर रह रहे हैं। उस लड़की ने पहले से किसी अन्य व्यक्ति से शादी की हुई है। अब मेरे पति के साथ साल भर से है। मेरा पति सरकारी नौकरी में है। उस ने मुझ से तलाक़ माँगा था लेकिन मेने मना कर दिया। मैं जिस मकान में रह रही हूँ वो मेरे पति के नाम से है और मेरे इन-लॉज भी उसी मकान में रह रहे हैं सेपरटेली। उसे उसने बेचने की कोशिश की थी। उस पर मैं ने स्टे ले लिया और मुझे खर्चा पानी नहीं देने पर मेने भी दहेज और प्रताड़ना का केस मेरे पति पर दर्ज कर दिया जिस में ये गिरफ्तार भी हो गया और सस्पेंड भी हो गया था। इस से पहले रिश्वत लेने के चक्कर में भी दो बार सस्पेंड हो चुका है। अब मेरा आपसे ये प्रश्न है कि में उस नये मकान(जो मेरे फादर इन लॉ के नाम है) पर उस लड़की के खिलाफ कोई कार्यवाही कर सकती हूँ? नया मकान बनाते समय मुझे वहाँ जाने पर छह महीने के लिए न्यायालय द्वारा पाबंद कर दिया था और जब मैं ने पुलिस वालों से संपर्क किया तो पुलिस वालों ने मेरा साथ देने से इनकार कर दिया। लेकिन वो आज भी खुले आम रह रहा है। मेरे पास सबूत के तौर पर दोनों के साथ के कई फोटो हैं. मैं आपसे यह कहना चाहती हूँ कि मैं इस उम्र के पड़ाव पर इस आदमी के साथ ही रहना चाहती हूँ, डाइवोर्स नही चाहती।

समाधान-

प का और आप के पति का विवाह अभी तक सही सलामत है। पति ने विवाह विच्छेद का प्रयत्न किया लेकिन आप ने विरोध किया और विवाह विच्छेद नहीं हो सका। आप का विवाह कायम रहते हुए भी आप का पति अन्य स्त्रियों के संपर्क में रहा और अब भी रह रहा है। उसे आप का विवाह नहीं रोक सका। आप अपने पति को अपने साथ रहने को न प्रेरित कर सकीं और न ही बाध्य कर सकीं। आप अलग रहती हैं। आप का पति अलग रहता है। इसे ही आप साथ रहना कहती हैं तो ऐसा साथ चलाने में क्या परेशानी है। जहाँ तक कानून का प्रश्न है वह किसी भी पति-पत्नी को साथ रहने को कह सकता है लेकिन उन्हें साथ रहने को बाध्य नहीं कर सकता। यदि किसी एक की साथ रहने की इच्छा के बाद भी दूसरा साथ नहीं रहना चाहता तो उसे जबरन साथ नहीं रखा जा सकता। न्यायालय साथ रहने का आदेश दे भी दे और उस का पालन न हो तो उस से अधिक से अधिक यही लाभ मिल सकता है कि आप साथ न रहने के आधार पर विवाह विच्छेद करा ले। इस से अधिक कुछ नहीं।

प ने पूछा है कि आप उस लड़की के विरुद्ध क्या कार्यवाही कर सकती हैं? तो इस का उत्तर है आप कोई कार्यवाही नहीं कर सकतीं। किसी कानून में कोई प्रावधान ऐसा नहीं है जो आप के पति के साथ स्वेच्छा से रहने वाली लड़की के विरुद्ध किसी तरह की कोई कार्यवाही करने की अनुमति दे।

प की यह सोच सही हो सकती है कि उम्र के इस पड़ाव पर जब कि आप को कोई दूसरा साथी नहीं मिल सकता। आप अपने पति से अलग नहीं होना चाहती। लेकिन इस का नतीजा क्या है? न तो आप सुखी हैं और न ही आप का पति। आप कितने भी मुकदमे कर लें लेकिन आप के पति को आप के साथ नहीं रहना तो कोई भी उसे बाध्य नहीं कर सकेगा। आप इस विवाह में रह कर क्या प्राप्त कर रही हैं? अपने लिए रहने का घर और अपने लिए भरण पोषण। वह भी इतने सारे मुकदमे कर के और एक लंबी लड़ाई कर के।

प के पति ने जब आप से विवाह विच्छेद का प्रस्ताव किया था तब आप के पास अवसर था कि आप उस से रहने को घर और जीवन भर के लिए भरण पोषण की व्यवस्था की मांग कर सकती थीं। शायद वह इस पर तैयार भी हो जाता। रहने का घर आप सदैव के लिए अपने नाम करवा सकती थीं और भरण पोषण एक मुश्त राशि के रूप में ले सकती थीं। फिर आप का अपने पति से कोई ताल्लुक नहीं रह जाता और आप चैन से जैसा चाहती वैसा जीवन व्यतीत कर सकती थीं। उस में आज जितनी बैचेनी, भागदौड़ और परेशानियाँ शायद नहीं होतीं।

दि आप को ऐसा अवसर फिर भी मिले तो भी आप को इस अवसर को ठुकराना नहीं चाहिए। आखिर आप जीवन भर विवाह में रहते हुए अपने पति से नहीं लड़ सकतीं।ष किसी दिन आप को थक कर बैठना पड़ेगा और तब शायद आप के पति के पास आप को देने को घर और एक मुश्त भरण पोषण राशि भी नहीं होगी। पित उस की स्वअर्जित और पुश्तैनी संपत्ति से भी वसीयत के माध्यम से आप को वंचित कर सकता है। पित या उस के माता-पिता की संपत्ति पर आप का कोई अधिकार नहीं है। हमारी राय तो यही है कि आप अब भी जब भी अवसर आए। आवास और भरण पोषण प्राप्त कर विवाह को समाप्त कर लें। खुद भी अच्छा जीवन जिएँ और पति को उस के हाल पर छोड़ दें।

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