समस्या-
बर्दवान, बिहार से युवराज ने पूछा है –
मैं एक पाँच वर्ष के बालक का पिता हूँ। दो वर्ष पहले मुझे मेरे पिताजी के घर से निकाल दिया गया क्योंकि मेरे पिताजी लालची प्रवृत्ति के इंसान हैं। मैं ने लव मैरिज की थी, जिसे बाद में मेरे पिता जी ने मान लिया। उस समय मेरे ससुर जी ने मुझे एक लाख रुपए और कुछ सोना दिया था। बाद में मेरे पिताजी ने और मांगना आरंभ कर दिया। मुझसे कहते थे कि अपने ससुर से पैसे मांगो, बोलना बिजनेस करना है। पर मैं ने शर्म के कारण कभी नहीं मांगा। फिर एक दिन पिताजी और मेरे बीच झगड़ा हुआ और उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया। दो वर्ष से मेरी पत्नी और बच्चा पत्नी के मायके में हैं। मैं उसी के पास के शहर में प्राइवेट नौकरी करता हूँ। भाड़े के मकान में रहता हूँ। गाँव में हमारा एक घर है जो दादा जी का है, दादाजी अब नहीं रहे। मेरे पिता जी दादा जी की इकलौती संतान हैं। हम तीन भाई हैं और मैं सब से बड़ा हूँ। क्या मैं इस संपत्ति में से कुछ प्राप्त कर सकता हूँ और अगर प्राप्त कर सकता हूँ तो उस के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा? इस में कितना समय लगेगा? यदि मेरे पिताजी उक्त संपत्ति में से कुछ को बेचना चाहें तो क्या मैं उन्हें रोक सकता हूँ?
समाधान-
आप के पिताजी को संपत्ति उन के पिता अर्थात आप के दादा जी से प्राप्त हुई है। आप के पिता के कोई बहिन नहीं थी वैसी स्थिति में यह संपत्ति एक पैतृक संपत्ति है। आप के दादा जी के देहान्त के उपरान्त यह संयुक्त हिन्दू परिवार की अविभाजित संपत्ति है। इस संपत्ति में केवल आप के पिता का ही नहीं अपितु उन की संतानों का भी बराबर का हिस्सा है।
यदि आप इस संपत्ति में से अपना हिस्सा अलग करना चाहते हैं तो आप को उक्त संपत्ति के विभाजन के लिए वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा। विभाजन के इस वाद के निर्णय में जो भी समय लगेगा वह स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इस संबंध में आप को अनुमानित समय केवल कोई स्थानीय वकील ही ठीक से बता सकता है।
यदि आप को यह आशंका है कि आप के पिता उक्त संपत्ति या उस के किसी भाग को विक्रय कर सकते हैं तो आप को तुरन्त ही न्यायालय में संपत्ति के विभाजन के लिए वाद प्रस्तुत करना चाहिए और साथ में अस्थाई निषेधाज्ञा हेतु एक आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए जिस में यह प्रार्थना करनी चाहिए कि आप के पिता या अन्य सहदायिक संपत्ति को हस्तान्तरित कर सकते हैं इस कारण से मुकदमे का निर्णय होने तक उक्त संपत्ति के किसी भी प्रकार से हस्तान्तरण पर रोक लगाई जाए। अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर लेने पर विभाजन के पूर्व आप के पिता या अन्य कोई सहदायिक उक्त संपत्ति या उस के किसी भाग को हस्तांतरित नहीं कर पाएगा।
इस मामले में आप को तुरन्त अपने जिला मुख्यालय पर दीवानी मामलों के अनुभवी स्थानीय वकील को सभी आवश्यक दस्तावेज या जानकारी उपलब्ध करवा कर सलाह प्राप्त करनी चाहिए।