समस्या-
पवन मिश्रा ने शिवपुरबा तहसील लिपनिया जिला रीवा मध्य प्रदेश से पूछा है-
मेरे दादा जी चार भाई थे तथा मेरे दादा जी के नाना की कोई संतान नहीं थी। नानाजी ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति बड़े दादा जी के नाम कर दी थी क्योंकि बड़े दादा बालिग थे एवं बाकी भाई नाबालिग। मेरे दादा के बालिग होने पर गांव के वालों के सामने वर्ष 1973 में आपसी राजी खुशी से सादे कागज पंचनामा बनवा कर जिसका पंजीयन नहीं है, मेरे दादा के हिस्से की सम्पत्ति उनके बड़े भाई ने नाम करवा दी थी तथा उसके बाद नामांतरण भी हो गया। मेरे दादा की मृत्यु होने पर मेरे पिता जी तथा उस के बाद मेरे नाम हो गई 45 साल हो गए है समाया यह है कि बड़े दादा जी का परिवार के साथ हमारा पुश्तैनी सम्पत्ति का विवाद चल रहा है, जिसके कारण आये दिन वो विवाद करते हैं। कहते हैं कि यह सब सम्पत्ति हमारी है यह सम्पत्ति हमारे दादा को दान में प्राप्त हुई है उन्होंने दिया होगा हम नही देना चाहते। अब उन्होंने सिविल कोर्ट रेवा में केस लगा दिया है लेकिन हमें कोई नोटिस नहीं मिला है और एक पेशी भी हो गई है। हम कोर्ट भी नहीं गए क्योंकि हमें अभी तक कोर्ट से नोटिस नही मिला है। क्या ऐसे में हमे कोई नुकसान तो नहीं होगा? क्या हम अपने से कोर्ट में हाज़िर हो जाए। आप कोई सलाह दीजिये क्या करना चाहिये?
समाधान-
जब आपके बड़े दादा के उत्तराधिकारियों ने आपके विरुद्ध दावा किया है तो देर सबेर आपको अदालत में हाजिर तो होना ही पड़ेगा। इसलिए आप कोई अच्छा वकील करके उससे सलाह लें और अदालत में हाजिर हो जाएँ। समन का इन्तजार करने से जो देरी होगी मुकदमे के निर्णय में भी देरी होगी।
यह सही है कि नाना ने बड़े दादा को संपत्ति दान कर दी वह उन्हीं की है। लेकिन उन्होंने बँटवार करके उसका एक हिस्सा आपके नाम कर दिया और कब्जा दे दिया जिस पर आप 45 वर्ष से अधिक समय से काबिज हैं। यह बात आपके पक्ष में जाती है।
उनके दावे के अनुसार संपत्ति सारी उनकी है। तब उस पर कब्जा भी 45 वर्ष से उन्हीं की सहमति से है। इतने पुराने कब्जे पर आपका उस संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जा हो चुका है जो आपके मालिकाना हक के बराबर है। आप इस आधार पर उनके दावे में प्रतिवाद कर सकते हैं। बंटवारे का जो मेमोरेण्डम (पंचनामा) लिखा गया था वह काम आएगा। उसे सबूत के रूप में पेश करें। वे आपसे आपके कब्जे की कृषि भूमि तथा मकान की जमीन नहीं ले सकते। बल्कि आप उनके विरुद्ध दावा कर के मकान बनाने में बाधा डालने से रोकने के लिए अदालत से निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। बेहतर है बढ़िया वकील करें उनके द्वारा प्रस्तुत दावे में भाग लें और अपनी ओर से निषेधाज्ञा का वाद प्रस्तुत कर निषेधाज्ञा प्राप्त करने की कोशिश करें।