समस्या-
मैं ने विशेष विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत अन्तर्जातीय विवाह किया है। मेरी शादी को एक वर्ष हो चुका है। मैं सरकारी नौकरी में हूँ और मेरी पत्नी पढ़ाई कर रही है। शादी के दस माह बाद जब मेरी पत्नी अपने घर गई तो उस के बाद से उस के पिता और उस के घर वाले उसे मुझ से नहीं मिलने देते हैं और न ही बात करने देते हैं। उसे कालेज भी नहीं जाने दे रहे हैं। जिस से उस की एमबीबीएस की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। उन्हों ने मेरी पत्नी से न्यायालय में परिवाद दर्ज करवा दिया है कि मेरी शादी जबरन डरा धमका कर की गई थी। इस पर मैं ने परिवार न्यायालय में दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। लेकिन मुझे अब यह विश्वास नहीं रहा है कि वह मेरे पक्ष में बयान देगी। मुझे यह भी लगता है कि उस ने जो परिवाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाँ दर्ज करवाया है वह दबाव में लिखवाया गया होगा। अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं उच्च न्यायालय में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर सकता हूँ? क्या इस से मेरी नौकरीपर आँच आएगी?
-राम पाल सिंह, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
समाधान-
आप ने पहले ही धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। लेकिन यदि आप का विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अन्तर्गत हुआ है तो यह आवेदन पोषणीय नहीं है और निरस्त हो जाएगा। दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए आप को विशेष अधिनियम की धारा 22 के अन्तर्गत यह आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था। लेकिन यदि आप का विवाह एक हिन्दू विवाह है तो आप का आवेदन सही है। परन्तु आप ने इस आवेदन के माध्यम से यह अवश्य ही प्रकट कर दिया है कि आप की पत्नी स्वैच्छा से ही आप के पास नहीं आ रही है।
यदि आप को विश्वास हो कि आप की पत्नी को जबरन रोका गया है और आप के विरुद्ध जबरन ही मुकदमा दर्ज करवाया गया है तो आप ऐसा कर सकते हैं। आप का ऐसा सोचना गलत भी प्रतीत नहीं होता। क्यों कि आप की पत्नी को जबरन नहीं रोका गया होता तो वह अवश्य ही अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई का नुकसान नहीं करती। मेरे विचार में आप को बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर देनी चाहिए। इस से आप के मामले के बहुत से तथ्य स्पष्ट हो जाएंगे। या तो इस के माध्यम से आप को राहत प्राप्त हो जाएगी और या फिर समस्या की तस्वीर को स्पष्ट देखने के बीच जो बादल छाए हुए हैं वे छँट जाएंगे। यह एक पारिवारिक विवाद है और इस विवाद से आप की नौकरी पर कोई आँच तब तक नहीं आएगी। जब तक कि आप की किसी अपराधिक मामले में गिरफ्तारी नहीं हो जाती है और आप 24 घंटों से अधिक हिरासत में नहीं रहते हैं। फिर भी आप को केवल सेवा से निलंबित किया जा सकता है सेवा से हटाया नहीं जा सकता।