तीसरा खंबा

मैं सिर्फ तलाक लूँ? या एक लड़ाई लड़ूँ?

लीना पूछती हैं …

सर! मेरी उम्र 26 वर्ष है। पिछले एक साल से मैं केन्द्रीय सरकार की नौकरी में हूँ। मुझे शादी के इक्कीस दिन बाद ही दहेज की वजह से माता  पिता के पास लौटना पड़ा। अब मैं ने पति पर केस किया है। पर मेरे पास उन की रेकॉर्डेड आवाज है, जिस में वे मेरे माता-पिता की प्रोपर्टी माँग रहे हैं। क्या कोर्ट में ये सबूत नहीं बन सकता?

सर! क्या मैं सिर्फ तलाक लूँ? या एक लड़ाई लड़ूँ? कृपया मुझे सही सलाह दें।

उत्तर

लीना जी,
आप भाग्यशाली हैं, कि आप को अपने पति और उन के परिवार के मन में छुपे दोषों के दर्शन विवाह के कुछ ही दिनों में हो  गए, और आप इक्कीसवें दिन ही अपने ससुराल से वापस आ गई। वरना आप को और भी बुरे दिन देखने पड़ सकते थे। यह और भी अच्छा रहा कि आप को केन्द्र सरकार की नौकरी मिल गई और आप अपने पैरों पर खड़ी हैं। आप को भरण पोषण के लिए किसी प्रकार से अपने पति पर या अन्य किसी व्यक्ति पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।

बेशक आप को कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए, लेकिन केवल न्याय के लिए। यदि आप के पति ने दहेज मांगा है और आप को प्रताड़ित करने का अपराध किया है; तो उन्हें इस की सजा भी अवश्य ही मिलनी चाहिए। क्यों कि दोषियों के बचे रहने से ही इस तरह के अपराधों को प्रश्रय मिलता है। इस के लिए आप को अवश्य ही 498-ए के अंतर्गत पुलिस में शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए। यदि पुलिस आप की शिकायत दर्ज न करे, तो आप को अदालत में शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए अदालत आप की शिकायत को पुलिस के पास अन्वेषण के लिए भेज देगी। आगे का काम पुलिस को करना है। वह खुद गवाहों के बयान लेगी और वे सारे सबूत भी एकत्र करेगी जो दोषी को सजा देने के लिए आवश्यक हैं। आप को कुछ नहीं करना है। केवल पुलिस को अन्वेषण में सहयोग करना है और बाद में अदालत के बुलाने पर बयान देने हैं।

आप के द्वारा पति की आवाज का जो  रिकार्ड है, वह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65ख के अनुसार साक्ष्य में ग्राह्य दस्तावेज है और एक मजबूत साक्ष्य (सबूत) है और वह काम आएगा।

आप मेरी पुत्री की आयु की हैं। यही हादसा यदि मेरी पुत्री के साथ हुआ होता तो मैं उसे संत तुलसीदास के पद की यह पंक्ति सुनाता …. ” जा के प्रिय न राम-वैदेही, तजिए ताहि कोटि बैरी सम जद्यपि परम सनेही”। आप को भी यही सलाह दे रहा हूँ कि आप जितना शीघ्र हो तलाक ले कर अपने मौजूदा दांपत्य जीवन से मुक्ति प्राप्त कर लें। राम वैदेही को प्रेम करने वाला इस तरह दहेज के लिए किसी को नहीं सता सकता। आप अपने पति को तजने का काम आरंभ कीजिए। आप को क्रूरता के आधार पर तलाक मिल जाएगा। तलाक के साथ आप स्थाई पुनर्भरण (Permanenat Alimony) प्राप्त कर सकती हैं। लेकिन मुख्य बात यह  है कि आप जितनी जल्दी हो तलाक प्राप्त करें और स्वतंत्र हो कर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करें। और तब यदि आप को उपयुक्त साथी मिलता है तो उस के साथ अपने जीवन को बिताने के लिए विवाह कर लें। एक शांतिमय जीवन सब से बड़ा लक्ष्य है। न कि आप के पति से चल रही लड़ाई और उन से बदला लेने की भावना। आप केवल अपना काम करिए, आप के अपराधी के विरुद्ध पुलिस या अदालत को शिकायत, अन्वेषण में सहयोग और आवश्यक होने पर गवाही देना। तलाक की कार्यवाही तुरंत कीजिए, स्थाई पुनर्भरण की मांग कीजिए। शीघ्रता से तलाक लीजिए, स्थाई पुनर्भरण जो अदालत दिलाए उसे स्वीकार कीजिए, लेकिन उसे अपनी नाक का सवाल मत बनाइए। शीघ्रता से एक शांतिपूर्ण जीवन की ओर बढ़िए।

अगली पोस्ट पर……. 
सलाह एक परिवार को जो मिथ्या 498-ए के मुकदमा भुगत रहा है।
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