समस्या-
मेरे बड़े साडू ने अपने बड़े बेटे के नाम पर सासू से बीमारी हालात में अगूंठा निशानी लेकर मेरी ससुराल के मकान की वसीयत करा ली। ससुराल में वारिस कोई भी नहीं है। उनकी तीनों लड़कियाँ मोज़ूद हैं बँटवारा कैसे हो? क्या करें?
-पून्या राम, अलवर, राजस्थान
समाधान-
वर्तमान स्थिति में आप की पत्नी को यह मान कर चलना चाहिए कि उन की माता जी ने कोई वसीयत नहीं की थी। वैसे भी केवल अंगूठा लगा देने से वसीयत नहीं हो जाती। उसे कम से कम दो गवाहों के सामने होना चाहिए, फिर उसे गवाहों द्वारा न्यायालय में प्रमाणित किया जाना चाहिए। वसीयत करने के समय वसीयत करने वाले व्यक्ति को स्वस्थ चित्त और बिना किसी दबाव के होना चाहिए। जिस परिस्थिति में उक्त वसीयत करना आप बता रहे हैं वह पूरी तरह संदिग्ध है, उसे चुनौती दी जा सकती है।
आप की पत्नी को तुरन्त जिला न्यायालय में बँटवारे का दावा प्रस्तुत करना चाहिए यह मानते हुए कि आप की सास ने कोई वसीयत नहीं की है। इस दावे में साढ़ू का पुत्र पक्षकार नहीं होगा। क्यों कि वह आप की सास का उत्तराधिकारी नहीं है। वैसी स्थिति में आप की साली जिस के पुत्र के नाम वसीयत की गई है। जवाब देगी कि उक्त मकान की वसीयत हो चुकी है और उस का पुत्र आवश्यक पक्षकार है। तब किसी न किसी रूप में वसीयत सामने आएगी। तब असल वसीयत को न्यायालय में प्रस्तुत करवाया जा सकता है और उस का अध्ययन कर के उसे चुनौती दी जा सकती है। बहुत कुछ वसीयत के गवाहों के बयानों और आप के वकील द्वारा उन से की गई जिरह पर निर्भर करेगा कि संपत्ति का बँटवारा किस प्रकार हो।