तीसरा खंबा

शारीरिक योग्यता के अनुसार अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की जा सकती है . . .

gujrat policeसमस्या-
(भुज) कच्छ, गुजरात से वारिस ए. कुरैशी, ने पूछा है-

मेरी उम्र 31 वर्ष है, बी.ए (मनोविज्ञान, 2nd क्लास) तक पढ़ा हूँ तथा घरेलू कम्प्यूटर क्लास चलाने का काम करता हूँ। ११ जून, २००६ के दिन मेरे अब्बा ‘अब्दुलसत्तार इस्माइल कुरैशी’ अपनी दोनों किड्नी फेल होने के कारण वफात कर गए।  वह पुलिस डिपार्टमेंट में  ‘वायरलेस ऑपरेटर’ की नौकरी में थे| और 9 वर्ष से  इस बीमारी से पीड़ित थे। जिन का वर्ष २००० में किड्नी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन हुआ था, और मेरी अम्मा ने अब्बू को अपनी एक किड्नी दी थी| भारतीय कानून अनुसार मेरे घर में और कोई कमाने वाला न होने के कारण मैं ने गुजरात राज्य से आश्रित नियुक्ति मांगी|  अब सरकारी नौकरी के लिए क़ानूनी मापदंड अनुसार नियम है कि किसी भी तकनीकी या बिना-तकनीकी जगह की नोकरी के लिए आश्रित योग्यता के अनुसार नियुक्ति दी जाये।  सरजी मेरी हाईट-बोडी कुदरती इतना नहीं कि मैं पुलिस या किसी सुरक्षाबल में नियुक्त हो सकूँ  और चेस्ट के मापदंड में भी मैं खरा नहीं उतरा।  क्लास १०वीं से मुझे दोनों आँखों में डिग्री नम्बर है।  जबकि, सुरक्षा दस्तों में एकदम गुणवत्ता युक्त आँखोंवाले, चुस्त दुरुस्त युवक-युवतियों को भरती करने के नियम हैं। अब मैं तो दुरुस्त था नहीं, फिर भी ‘सरकारी नौकरी’ एक ऐसा शब्द है कि कोई भी इंसान इस नियुक्ति को छोड़ने की बचकानी हरकत नहीं कर सकता।  मैं ने भी नहीं की।  मैं शरुआती दौर में ही पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में चला गया। जहाँ, मुझे मेरे मास्टर और उपरी अधिकारियों द्वारा भी कहा गया कि, ‘भाई तेरी भरती कैसे हो गई पुलिस में?  इन हाईट-बोडी और चश्मों के साथ’। मैं ने तो नोकरी करनी ही थी, सो मैं डटा रहा।  अपनी ट्रेनिंग में अच्छे से अच्छे रेंक लाने में। जो कुदरती हे वो  तो कुदरती ही है।  मैं न ही मेरे साथ वाले ट्रेनिंग ले रहे जवानों के साथ ड्रिल (परेड) में मैच हो पा रहा था और ना ही दौड़ और अन्य एथलेटिक गतिविधियों एवं कसरतों में। “मेरी बुरी तरह से बातें होती रहती थी कि , कैसे कैसे इंसान आ जाते हैं भरती हो के।” अब मैं ने तो नोकरी ही करनी थी, और वो भी सरकार…की, जिस से मेरा घर चल सके, जिस में मेरी अम्मी और छोटा भाई भी थे। एक दिन दौड में मैं ने अपनी छाती में हल्की सी चुभन महसूस की, लेकिन फिर भी दौड़ता रहा।  सोचा नया नया है, बाद में रोजाना कसरतें करने से तंदुरुस्ती आ जायेगी। पर ऐसा हुआ नहीं, मैं रोज ये चुभन मेरे सीने में महसूस करने लगा, एक दिन ऐसा आया की मेरी हालत खस्ता हो गयी।  मैं दौड भी नहीं पा रहा था और अब तो चलने से भी ये पीड़ा होने लगी थी। साथ ही साथ मेरे चश्मो के कारण भी ट्रेनिंग में मुझे बहुत तकलीफ होती रहती थी, मैं चश्मे निकाल कर दौड़ता और कसरतें ड्रिल वगेरा करता।  पर चश्मे न पहनने के कारण भी कुछ चिन्ह  और आदेश समज नहीं पा रहा था| उस में भी गड़बड़ी होने लगी| मैं ने ट्रेनिंग सेंटर से अपने इलाज के लिए पासवाले दवाखाने में गया।  उन्होंने मुझे गुजरात के राजकोट में चेकिंग करवाने के आदेश दिए।  मैं वहाँ गया और दो दिन तक दाखिल रहा। पीड़ा भी बहुत थी। (मैं वह शारीरिक कसरतें झेल नहीं पाया था) अब मुझे डर लगने लगा कि मेरी नौकरी जायेगी। फिर से मैं ट्रेनिंग सेंटर में पहुँच गया।  पर अफ़सोस, मेरे शरीर में अब इतनी ताकत ही नहीं थी कि मैं ऐसी शारीरिक कवायदें झेल सकूँ। अब कोई रास्ता नहीं था। मैं ट्रेनिंग सेंटर से आराम के लिए घर आ गया। अब गुजरात सरकार के नीति नियम अनुसार मुझे नौकरी से ख़ारिज कर दिया गया। बहुत अफ़सोस हुआ, कि सरकारी नौकरी गया।  अब मैं अपना परिवार केसे चलाऊंगा? बाद में कम्पयूटर क्लास चलाने लगा।  ईश्वर के करम से मैं मेरा खर्च निकाल लेता हूँ। पर अभी भी लोगों के ताने सुनता हूँ कि। मैं सरकारी नौकरी छोड़ आया।  जब कि ऐसा था नहीं।  क्यों कि मैं कुदरती रूप से लायक ही नहीं था उस जगह के लिए। आज तक मुझे यही सवाल सताते रहते हैं कि क्यों मुझे ऐसी जगह नियुक्त किया जिस के लिए में नालायक हूँ?  क्यों मुझे ऐसी नोकरी नहीं दी कि जो मैं अपनी शारीरिक क्षमताओं के अनुसार कर सकता? और अपने परिवार का गुजारा कर सकता। जैसे की कम्पाउंडर या क्लास तीन या क्लास चार।  नौकरी चाहे पुलिस की न हो पर ऐसी जरूर हो जो मैं कर सकूँ| आप की ये साइट तीसरा खंबा मैं ने इंटरनेट पर देखी, और आपके समाधान पढ़ने के बाद मुझे विश्वास है कि आप मुझे इस राह में उचित सलाह कि क्या मैं अब भी सरकार से आश्रित नियुक्ति (रहमराह भरती) की मांग कर सकता हूँ? क्या मुझे अभी भी अपने परिवार के गुजारे के लिए नौकरी मिल सकती है?

समाधान-

प ने तथ्य विस्तार से लिखे हैं, यह अच्छी बात है। फिर भी आप यह लिखना भूल गए कि आप को ट्रेनिंग/ नौकरी से कब खारिज किया गया? यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है। इस से हमें पता लगता कि आप को क्या उपाय बताना चाहिए। खैर।

नुकम्पा नियुक्ति तो आप के पिता के सरकारी विभाग ने आप को दे दी थी। इस कारण आप की यह शिकायत तो वाजिब नहीं होगी कि आप को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी गई। लेकिन यह सही है कि आप को अनुकम्पा नियुक्ति ऐसे पद पर देनी चाहिए थी जिसे करने के लिए आप शैक्षणिक और शारीरिक रूप से योग्य हों। आप को जिस नौकरी के लिए उपयुक्त पाया उस के लिए शैक्षणिक योग्यता तो आप के पास थी किन्तु शारीरिक योग्यता आप के पास नहीं थी। इस शारीरिक योग्यता में आप को अयोग्य पाए जाने के कारण आप की नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया। इस निरस्तीकरण के उपरान्त आप को चाहिए था कि आप नियुक्ति निरस्त करने वाले अधिकारी से उच्च अधिकारी को यह अपील करते कि शारीरिक योग्यता तो प्रकृति प्रदत्त है। इस कारण से आप को ऐसी नौकरी दी जाए जो कि आप की शारीरिक योग्यता के अनुरूप हो। ऐसे बहुत से पद पुलिस में हो सकते हैं जो आप की शारीरिक योग्यता के अनुसार आप को दिए जा सकते हैं। खैर¡ आप अब भी ऐसा प्रार्थना पत्र गुजरात पुलिस विभाग को कर सकते हैं। मेरा मत है कि ऐसा आवेदन ले कर आप को स्वयं आप के विभाग के उच्च अधिकारी से मिलना चाहिए।

स प्रार्थना पत्र को यदि गुजरात पुलिस निरस्त कर देती है या एक दो माह में कोई निर्णय नहीं लेती है तो आप को उच्च न्यायालय में सेवा संबंधी मामलों की प्रेक्टिस करने वाले किसी वकील से मिल कर उसे अपने सारे दस्तावेज दिखाने चाहिए और राय करते हुए एक नोटिस न्याय प्राप्ति की मांग करते हुए गुजरात पुलिस व गुजरात सरकार को प्रेषित करना चाहिए जिस में यह मांग करनी चाहिए कि आप को पुलिस विभाग में आप की शारीरिक क्षमता के अनुसार नौकरी प्रदान की जाए या किसी अन्य विभाग में आप को नौकरी दी जाए। इस नोटिस की अवधि गुजर जाने के उपरान्त इस मांग की पूर्ति के लिए आप को सरकार के विरुद्ध एक रिट याचिका गुजरात उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करनी चाहिए। यह रिट याचिका ही एक मात्र माध्यम है जिस से आप राहत प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन हमारे यहाँ न्यायालयों में इतने अधिक मुकदमे हैं कि एक मुकदमा कब निर्णीत होगा यह निश्चित नहीं है। हो सकता है इस मुकदमे को निर्णीत होने में दस वर्ष भी लग जाएँ और तब आप को राहत प्राप्त हो। इस कारण से आप को अपने वर्तमान व्यवसाय कम्प्यूटर कक्षा को विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए। कम्प्यूटर कक्षा के साथ आप आप कुछ आनुषंगिक कार्य कर सकते हैं। अपने व्यवसाय को इस तरह विकसित कर सकते हैं कि आप उस में कुछ अन्य व्यक्तियों को भी नियोजन प्रदान कर सकें और आप की आय में वृद्धि भी हो। अनेक बार ऐसा होता है कि शारीरिक योग्यताएँ कम होने पर व्यक्ति का मस्तिष्क आदि अधिक क्षमता से कार्य करता है और प्रयास करने पर वह अधिक सक्षम कार्य करते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करता है। वैसी स्थिति में अक्षमता वरदान बन जाती है। आप रिट अवश्य करें, लेकिन उस से अधिक आस न लगाएँ और अपने व्यवसाय को विकसित करने का प्रयत्न करें। हो सकता है उसी क्षेत्र में आप सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करें।

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