तीसरा खंबा

संयुक्त संपत्ति के किसी भी हिस्से का विकास करने के पहले विधिपूर्वक बंटवारा करें।

समस्या-

ज्ञानेन्द्र कुमार रूँठाला ने जयपुर, राजस्थान समस्या भेजी है कि-

म चार भाई हैं, जिनमें से दो जयपुर में इसी मकान में रहते हैं. पिता का निधन हो चुका है. माता जीवित हैं. पिता ने एक वसीयत बनाई थी जो रजिस्टर्ड नहीं है पर नोटेरी है. एक भाई को मकान का जो हिस्सा दिया गया वो उन्हें पसंद नहीं है. बाकि तीन भाई उनको जो हिस्सा चाहिए, वो देने को तैयार हैं. अब बाकी तीन भाई अपनी ज़मीन पर रिहाइशी बिल्डिंग बनाना चाहते हैं. क्या चौथे भाई स्टे आर्डर ले सकते हैं. यदि हाँ तो किस कारण पर?

समाधान-

प के पिता जी की संपत्ति आप के पिता की मृत्यु के साथ ही संयुक्त संपत्ति हो गयी है। आप के पिता की जो वसीयत है वह केवल इस कारण से खारिज नहीं मानी जा सकती कि वह नोटेरी है। उस का प्रोबेट कराया जा सकता है। आप ने यह नहीं बताया कि उस वसीयत में क्या अंकित है?

आप के पिता के देहान्त के बाद आप चार भाई, आप की माँ और यदि कोई बहिन हो तो वह सब पिता की छोड़ी हुई संपत्ति में हिस्सेदार हैं। सभी हिस्सेदारों के बीच संपत्ति का बंटवारा विधिक रूप से होना चाहिए। यह या तो आपसी समझौते से हो और फिर उस पर सभी हिस्सेदारों के हस्ताक्षर हो कर वह उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा लिया जाए। या फिर बंटवारा न्यायालय के माध्यम से हो। पंजीयन में खर्च अधिक होने के कारण लोग यह सूरत निकाल लेते हैं कि बंटवारा मौखिक हो गया था और अब कुछ सप्ताह, माह या वर्ष के बाद उस का मेमोरेंड़म लिखा गया है। इस मेमोरेंडम ऑफ पार्टीशन को नोटेरी करा लें। बंटवारा हुए बिना किसी भी एक हिस्सेदार को छोड़ कर संयुक्त संपत्ति के किसी हिस्से का विकास करना हमेशा ही संकटग्रस्त हो सकता है। कोई भी हिस्सेदार न्यायालय जा कर स्टे ला सकता है।

इन सारी परिस्थितियों में हमारी राय है कि आप सभी हिस्सेदार पहले विधिपूर्वक बंटवारा कर लें, उस के बाद जो करना हो सो करें।

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