समस्या-
मैं पुर्णिया (बिहार) से हरि शंकर झा पूछते हैं –
मैंने 14/03/2012 को एक जमीन खरीदी, उसका नामान्तरण, करवाया, फिर अप्रैल महीने से उस जमीन पर घर बनाने का काम प्रारंभ किया घर का नक्शा भी मुनिसिपेल्टी से पास करवाया है। मकान का निर्माण लिंटर तक पहुँच चुका था, छत डालने के लिए शटरिंग लग रही थी तभी 11/08/2012 को जिससे हमने जमीन खरीदी थी उसके देवर ने आकर काम को बंद करवा दिया। उसका कहना था की जिस जमीन को आपने ख़रीदा है वह संयुक्त स्वामित्व की है। जबकि यह व्यक्ति खुद 2005 मैं 5 कठा जमीन उस प्लाट से बेचे हुए है। जिस में उसने यह बात लिखा है कि यह प्लाट हम लोग बाँट कर अपने-अपने हिस्से में दखल दे रहे हैं। थाने की मिलीभगत से मेरे जमीन पर 144-धारा लगाया गया। एसडीओ को भी खरीद लिया। जब 144 का सुनवाई चली तो वह 17 तारीखों में केवल दो दिन उपस्थित हुआ। और अब धारा 145 आरंभ हो गयी है। मैं एक गैर सरकारी शिक्षक हूँ। 10 वर्षों में जो कमाया है सब ख़त्म हो गया है। प्लीज बताएँगे की अब मैं क्या करूँ?
समाधान-
आप एक सद्भाविक खरीददार हैं और आप के हितों को इस तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि धारा 144 व 145 दंड प्रक्रिया संहिता की कार्यवाहियों से आप का अधिकार समाप्त नहीं हो गया है न हो सकता है। धारा 145 की कार्यवाही सिर्फ वहीं चल सकती है जब कि जमीन पर कब्जा कार्यवाही आरंभ करने के पूर्व की 60 दिन की अवधि में हुआ हो। आप का तो कब्जा पुराना है। इस कारण धारा 145 की कार्यवाही भी समाप्त हो जाएगी। यदि आप के विरुद्ध कोई आदेश हो भी जाए तो आप उस आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय को निगरानी प्रस्तुत कर सकते हैं।
भूखंड के स्वत्व की जाँच करने में आप से चूक अवश्य हुई है लेकिन आप गलत नहीं हैं। आपने जमीन खरीदी है, उस का विक्रय पत्र पंजीकृत कराया है, नामान्तरण करवाया है और फिर मकान बनाने के लिए नगर पालिका से अनुमति प्राप्त की है। ये सभी दस्तावेज आप के विरुद्ध चलाए गए मामलों को समाप्त करवाएंगे। आप किसी अच्छे स्थानीय वकील से संपर्क कीजिए, उसे मामले के सारे तथ्य बताइए तथा उसे अपना मामला सोंपिए। आप को निश्चित रूप से राहत प्राप्त होगी।