समस्या-
मेरे पिताजी ने एक व्यक्ति को 3,00,000/- रुपया उधार दिया था। उस ने समय पर नहीं लौटाया, वह बार बार बहाने के बनाता था। आखिर में उसने एक चैक दिया जो जनवरी 2011 का था। चैक बैंक में जमा किया तो यह लिखा हुआ आया कि उस के खाते में पैसा नहीं है। फिर उस ने समय मांग लिया और इस प्रकार आज तक वो टाल ही रहा है। पिता जी ने उसे कोई नोटिस नहीं भेजा क्योंकि वह व्यक्ति रिश्तेदार था। अंत में बहाने की जगह उसकी भाषा यह हो गयी है कि हम रुपया नही देंगे। अब क्या इतना समय निकल जाने के बाद हम उस चैक और बैंक की स्ल्पि के आधार पर उससे पैसा ले सकते है। कृपया उचित मागदर्शन करे।
-कमलेश सिंह, भोपाल, मध्यप्रदेश
समाधान-
यदि आप के पिता जी को दिए गए चैक की तिथि राशि रुपया उधार देने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर ही है तो फिर इस चैक को रुपया उधार लेने की संस्वीकृति (Acknowledgment) माना जा सकता है। ऐसी अवस्था में जब कि चैक जनवरी 2011 का है उस की तिथि से तीन वर्ष की अवधि में अर्थात दिसम्बर 2013 तक आप के पिता जी उक्त व्यक्ति से रुपया वसूल करने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
आप के प्रश्न से यह प्रतीत होता है कि आप यह जानना चाहते हैं कि क्या धारा-138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत भी कार्यवाही की जा सकती है या नहीं? तो अब उक्त चैक के आधार पर ऐसी कार्यवाही नहीं की जा सकती। कोई भी चैक केवल उस की वैधता की अवधि (जो तीन माह या छह माह होती है) में कई बैंक में प्रस्तुत किया जा सकता है। चैक अनादरित होने की सूचना बैंक से प्राप्त होने के 30 दिन की अवधि में ही आप उस चैक की राशि नकद वापस लौटाने का नोटिस चैकदाता को दे सकते हैं और इस नोटिस के चैकदाता द्वारा प्राप्त करने की तिथि से 45 दिन की अवधि में ही धारा-138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है, इस के बाद नहीं। इस तरह अब आप के पिताजी धारा-138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकते। लेकिन जो रीति हम ने ऊपर बताई है उस के अनुसार रुपया वसूली के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। दीवानी वाद प्रस्तुत करने के लिए उन्हें वसूली जाने वाली धनराशि के अनुपात में न्यायालय शुल्क अदा करनी होगी।