तीसरा खंबा

दत्तक ग्रहण विधि पूर्वक न हो तब निरस्त कराया जा सकता है।

समस्या-

हरीनारायण गुप्‍ता निवासी महेश्‍वर, जिला खरगोन, मध्यप्रदेश ने पूछा है-

पंजीकृक दत्‍तक पत्र मे लिखा है कि “दत्‍तक व्‍यक्ति का आचरण, दत्‍तक माता पिता को खाना आदि नहीं देना आदि पर दत्तक लेने वाला दत्‍तक पत्रक को निरस्‍त करने का अधिकार अपने पास रखता है”, तो क्या इस दशा में दत्‍तक नामा निरस्‍त हो जायेगा। दत्‍तक जाते समय दत्‍तक की आयु 16 वर्ष थी एवं दत्‍तक जाने वाला अपने दत्‍तक पिता के नाम का उपयोग नहीं करता है और अपने जन्‍म पिता कि सम्‍पत्ति में भी हिस्‍सा ले रहा है, इस कारण क्‍या दत्‍तक पत्र निरस्‍त किया जा सकता है।

समाधान-

आप ने हमें समस्या पूरी तरह स्पष्ट रूप से नहीं लिखी है। आप ने यह नहीं बताया है कि इस दत्तक-ग्रहण को कौन निरस्त कराना चाहता है? यदि यह बताया होता तो हम और अच्छी तरह आप की समस्या का समाधान प्रस्तुत कर सकते थे।

किसी भी दत्तक ग्रहण में कोई ऐसी शर्त नहीं रखी जा सकती जो कानून के विरुद्ध हो। कोई भी दत्तक ग्रहण मूल माता पिता अथवा दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता की इच्छा से या किसी अन्य प्रकार से निरस्त नहीं किया जा सकता। वैसी स्थिति में यह शर्त इस दत्तक ग्रहण को निरस्त कराने के लिए किसी भी काम की नहीं है।

लेकिन किसी भी ऐसे बच्चे का दत्तक ग्रहण किया जाना संभव नहीं है, विधि के विरुद्ध है जिसने 15 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो, यदि उस परिवार में इस तरह की कोई परंपरा या रीति नहीं रही हो। तो इस दत्तक ग्रहण को इस आधार पर कि ऐसी कोई रीति या परंपरा परिवार में नहीं रही है 16 वर्ष के बालक का दत्तक ग्रहण वैधानिक नहीं है और इस आधार पर उसे निरस्त कराया जा सकता है, इस के लिए घोषणा का दावा किया जा सकता है।

दत्तक ग्रहण किए जाने वाला व्यक्ति अपने जन्मदाता पिता की सहदायिक संपत्ति में जन्म से ही अधिकारी हो जाता है ऐसी स्थिति में जिस संपत्ति का अधिकार उसे पहले ही मिला हुआ है उसे उस से छीना नहीं जा सकता और दत्तक ग्रहण के उपरान्त भी वह उस संपत्ति में अपना अधिकार नहीं खोता है। लेकिन पिता की स्वअर्जित संपत्ति में उसे कोई अधिकार नहीं रह जाता है और जन्मदाता पिता की मृत्यु के उत्तराधिकार में वह सम्मिलित नहीं हो सकता।

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