समस्या-
अजय शर्मा ने श्योपुर, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरी मौसी अभी मेरे मामाजी के साथ रहती है ओर आंगनबाड़ी में जॉब करके अपना पालन पोषण करती है। शादी के कुछ महीने बाद मौसजी से उनका संबंध खराब होने के कारण वह मामाजी के पास ही रहती है। उन्होंने मुझे (अजय शर्मा) अपने दत्तक् पुत्र के रूप में रखा है। मेरे नानाजी की ज़मीन है जो अभी तक मेरे नानाजी के नाम पर ही है। क्या मेरी मौसी उस ज़मीन में से हिस्सा लेने का अधिकार रखती है? अगर हाँ तो प्लीज मुझे इसके बारे में सूचना उपलब्ध करवाएँ।
समाधान-
आप की समस्या में यह स्पष्ट नहीं है कि आप के नाना जी जीवित हैं या नहीं हैं। दूसरे यह स्पष्ट नहीं है कि आप को मामाजी ने दत्तक लिया है या फिर मौसी ने।
खैर¡ दत्तक ग्रहण लिए जाने का समारोह होना आवश्यक है तथा दत्तक देने वाले जन्मदाता माता-पिता की तथा दत्तक लेने वाले माता पिता की सहमति से ही दत्तक ग्रहण हो सकता है। इस के अतिरिक्त उपपंजीयक के यहाँ दत्तक ग्रहण का दस्तावेज पंजीकृत कराने से भी दत्तक ग्रहण हो सकता है। यदि आप इन दोनों तरीकों में से किसी एक से दत्तक ग्रहण नहीं किए गए हैं तौ आप को दत्तक नहीं रखा गया है। आप गलत समझ रहे हैं कि आप को दत्तक ग्रहण कर लिया गया है। यदि उक्त तरीकों में से किसी एक से आप का दत्तक ग्रहण हुआ है तो आगे चला जाए।
संपत्ति आप के नाना की है। यदि वे जीवित हैं तो संपत्ति उन्हीं की है। किसी का कोई अधिकार नहीं है वे अपने जीवनकाल में किसी को भी वसीयत कर सकते हैं या बेच सकते हैं या फिर दान आदि दे सकते हैं। यदि आप के नाना उक्त में से किसी प्रकार से कोई हस्तान्तरण नहीं करते हैं और उन का देहान्त हो जाता है या फिर वे अभी भी जीवित नहीं हैं तो फिर वह संपत्ति उत्तराधिकार में आप के मामा, मौसी, आप की माँ तथा उन के अन्य भाई बहनों की संयुक्त संपत्ति है तथा उन में से कोई भी बँटवारे का वाद संस्थित कर के संपत्ति का कानून के अनुसार बँटवारा करवा कर अपना हिस्सा प्राप्त कर सकता है।
आप किसी के भी दत्तक पुत्र हों भी तो भी आप को उसी प्रकार से अपने दत्तक पिता/माता की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त होगा जैसे उन के खुद के औरस पुत्र को प्राप्त होता। आप को उन की संपत्ति पर अधिकार उन के द्वारा संपत्ति आप को हस्तान्तरित कर देने पर या उन की वसीयत से या फिर उन के देहान्त के उपरान्त उत्तराधिकार में प्राप्त होने पर ही हो सकता है।