समस्या-
नोएडा से सुरेन्द्र सिंह तोमर ने पूछा है –
मेरी एक भूमि जिला इंदौर म.प्र. में है। मैं स्वयं नौकरी के चलते सपरिवार नोएडा में रहता हूँ। मेरे भाई ने मेरी भूमि को स्वयं भू-स्वामी दर्शा कर अन्य व्यक्ति को बेच दिया और उसका नामांतरण भी करा दिया। इसका पता जब मुझे चला तो इसके विरुद् मैं ने एसडीएम के यहाँ आवेदन किया जिस पर नामांतरण निरस्त हो गया और भूमि पुनः मेरे नाम कर हो गई है। इस में आदेश दिया गया कि रजिस्ट्री निरस्त कराने हेतु मैं अलग से मुकदमा करुँ। मैं ने रजिस्ट्री निरस्त कराने बावत अपने भाई व खरीददार के विरुद्ध मुकदमा दायर कर दिया है जो अभी इंदौर न्यायालय मे चल रहा है। मैं अब इस भूमि को अपने एक मित्र को बेचना चाहता हूँ। क्या बिना रजिंस्ट्री शून्य कराए मैं यह भूमि उसे बेच सकता हूँ। क्योंकि इसकी संभावना हमेशा बनी रहती है कि कही मेरी अनुपस्थिति में फिर से फर्जीवाडा कर जमीन को बेच न दिया जाये। इस में मुझे व मेरे मित्र को कोई परेशानी तो नही आयेगी?
समाधान-
किसी भी संपत्ति का स्वामित्व उस के स्वामित्व के दस्तावेजों से निर्धारित होता है। नामान्तरण स्वामित्व का सबूत नहीं है। वस्तुतः कृषि भूमि की स्वामी
नामान्तरण केवल इस बात का सबूत है कि आप उस भूमि पर एक खातेदार कृषक हैं। एसडीओ ने आप के तर्क को मान कर आप के भाई द्वारा निष्पादित रजिस्टर्ड विक्रय पत्र को गलत मानते हुए आप के खातेदारी अधिकार को माना और नामांतरण पुनः आप के नाम कर दिया। लेकिन एक रजिस्टर्ड विक्रय पत्र को केवल दीवानी न्यायालय ही निरस्त कर सकता है। उस का निर्णय होने दें।
हमारी सलाह है कि आप अभी कोई भी विक्रय पत्र निष्पादित न कराएँ। यदि आप जमीन बेचना ही चाहते हैं तो केवल उस का एग्रीमेंट करें और विक्रय मूल्य प्राप्त कर के जमीन का कब्जा खरीददार को दे दें। जब भी आपके भाई द्वारा कराई गई रजिस्ट्री निरस्त हो जाए तब आप खरीददार के नाम विक्रय पत्र निष्पादित करा दें।