समस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से संजय परब ने पूछा है –
मेरे नानाजी और नानी का देहांत 40 साल पहले हो गया और उनकी 5 संतानें थीं, 2 बेटे और 3 बेटी। जिसमे बड़ा बेटा 2 साल पहले गुजर गया और दूसरी बेटी मेरी माता का देहांत 28 साल पहले हो गया। मेरे नाना और नानी ने कोई वसीयत नहीं की थी। मैं अपनी माता का इकलौता बेटा हूँ। बड़े बेटे जिनका देहांत हो गया है उन्होने अपन मृत्यु के पहले करीब 25 साल पहले ज़मीन का एक हिस्सा बिना मेरे पिताजी के और मेरी सहमति के बेच दिया और ज़मीन के 7/12 पेपर पर मेरी माँ का नाम अभी भी है। माँ का मृत्यु प्रमाण पत्र भी अग्रीमेंट में अटैच नहीं किया है। क्या मैं उस अग्रीमेंट के खिलाफ स्टे ले सकता हूँ। क्योंकि वो ज़मीन आज भी उसी अवस्था में है उस पर कोई भी निर्माण नहीं हुआ है। मेरे माता और पिता दोनो का देहांत हो गया है। मुझे अपने नाना की संपाति में से मेरी माँ का हिस्सा लेने के लिए क्या करना होगा?
समाधान-
आप के नाना जी की जो भी संपत्ति थी उन के देहान्त के साथ ही उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार उन के उत्तराधिकारियों की संयुक्त संपत्ति हो चुकी थी। अर्थात अब उन के पुत्रों और पुत्रियों का उस संपत्ति पर संयुक्त स्वामित्व स्थापित हो चुका था। आप की माता जी का हिस्सा उस संपत्ति में 1/5 हुआ। आप की माता जी के देहान्त के उपरान्त आप के पिता और आप को उन का हिस्सा प्राप्त हुआ लेकिन आप के पिताजी के देहान्त के उपरान्त और आप के इकलौते पुत्र होने के कारण उक्त संपत्ति में आप की माँ का पूरा हिस्सा अर्थात 1/5 हिस्सा अब आप का है और आप उस संपत्ति के संयुक्त स्वामी हैं।
आप उक्त संपत्ति में हिस्सेदार हैं और उस का बँटवारा करवा सकते हैं। आप को उक्त संपत्ति के बँटवारे और अपना हिस्सा अलग कर उस पर कब्जा प्राप्त करने या ऐसा संभव न हो तो संपत्ति के विक्रय कराने और हिस्सा प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए। यह वाद उस जिला न्यायालय में प्रस्तुत होगा जिस के क्षेत्राधिकार में वह संपत्ति या उस का एक भाग स्थित है। इस बँटवारे से आप का हिस्सा आप को मिल जाएगा। जो हिस्सा बिना अनुमति के बेचा गया है वह बेचान अवैध है। बिना बँटवारे के कोई भी हिस्सेदार संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी बेच सकता है लेकिन हिस्सा नहीं बेच सकता। यदि बेचान का केवल एग्रीमेंट ही लिखा गया है तो उस का कोई विधिक मूल्य नहीं है। लेकिन यदि विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करा दी गई है तो आप को उक्त विक्रय पत्र को निरस्त कराने के लिए भी कार्यवाही करनी होगी। इस के लिए आप समस्त दस्तावेजात ले कर दीवानी मामलों के किसी स्थानीय वकील से संपर्क करें और उस की सहायता से यह कार्य संपन्न कराएँ।