समस्या –
आशुतोष जांगीड़ ने ग्राम माधोराजपुरा, तहसील फागी, जिला जयपुर, राजस्थान से पूछा है-
मेरे भाई की मृत्यु 2019 में हो गई थी जो अध्यापक था। मेरे भाई की पत्नी मेरे भाई के जीवित रहते हुए अलग मायके में रहती थी और दहेज 498ए का झूठा मुकदमा कर रखा था। मैं और मेरी मां पूर्ण रूप से मेरे भाई पर आश्रित हैं। हमारी कोई आजीविका का साधन नहीं है मेरे भाई की मृत्यु के उपरान्त आश्रितों को विभाग के द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति और पैसे दिए गए वो सभी मेरे भाई की पत्नी लेकर चली गई हैं, जो अब हमारे से किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं रखती है। अब हमारी भूखे मरने की नौबत आ गई है हम उक्त संदर्भ में क्या करें?
समाधान –
आपका भाई विवाहित था। जिस दिन उसका विवाह हुआ उसी दिन उसकी पत्नी उसकी उत्तराधिकारी हो चुकी थी। आप उसके उत्तराधिकारी नहीं रहे थे। जहाँ तक आश्रित होने का प्रश्न है तो आप बालिग हैं और किसी भी तरह से भाई के आश्रित नहीं हो सकते।
आपके भाई की पत्नी ने 498ए का झूठा मुकदमा किया है, वह मायके में रहती थी, ऐसा कहने से आपको कोई राहत नहीं मिल सकती। यदि ऐसा था भी तो भी वह भाई की पत्नी थी उसका तलाक नहीं हुआ था। जिसके कारण वह नियमानुसार आपके भाई की उत्तराधिकारी और आश्रित थी। केवल उसे ही अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार था जो उसे मिल चुकी है। निश्चित रूप से यदि पारिवारिक पेंशन मिली होगी तो वह भी आपके भाई की पत्नी को ही मिली होगी। वह आपको या आपकी माँ को किसी स्थिति में नहीं मिल सकती थी।
हाँ अन्य धनराशि जैसे ग्रेच्युटी, प्रोविडेण्ट फण्ड, बकाया वेतन, ऐरियर और बीमा आदि की जो राशियाँ आपके भाई की पत्नी को प्राप्त हुई हैं उनकी वह अकेली अधिकारिणी नहीं है। आपकी माताजी भी आपके भाई की प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारिणी हैं। इस तरह की राशियों की आधी राशियों का उन्हें अधिकार है। आपकी माताजी उस आधी राशि को प्राप्त करने करने के लिए दीवानी अदालत में मुकदमा कर सकती हैं, और वह राशि उन्हें प्राप्त हो सकती है।