तीसरा खंबा

विवाह वैध न होने पर भी पिता अपनी पुत्री की अभिरक्षा प्राप्त कर सकता है।

समस्या-

गणेश ने ग्राम खमोर, जिला भीलवाड़ा, (राजस्थान) से पूछा है-

मेरे भाई की शादी 2013 मे एक ऐसी लड़की से हुई जिसका उसके पहले पति से तलाक़ नहीं हुआ था। फिर 2015 में मेरे भाई की पत्नी ने एक लड़की को जन्म दिया। 2016 से मेरे भाई की पत्नी लड़ाई करके अपने मायके चली गई. फिर हम उसको वापस ससुराल लाने के लिए गये लेकिन उस के घर वालों ने नहीं भेजा। फिर मेरे भाई की पत्नी गम्भीर रूप से बीमार हो गई। हमको उस को बीमार होने का पता लगा तो हम उसको लाने के लिए मेरे पिता ओर मई ओर मेरा भाई गये. तो उसके घर वालों ने हमारे साथ गाली गलौच की और धक्का-मुक्की करके हमें घर से निकाल दिया। 2019 में मेरे भाई की पत्नी की मृत्यु हो गई। हमें 2 दिन बाद पता लगा। हम वहाँ गये तो उसके घर वालों ने हमें फिर धक्का-मुक्की करके वापस घर से निकाल दिया। हम दिसम्बर 2020 में अपनी बच्ची को लेने गये तो गाली गलौच की और हमारी बच्ची को देने से साफ मना कर दिया। अब हम क़ानूनी रूप से क्या कर सकते हैं?

समाधान-

आपके भाई का जिस स्त्री से विवाह हुआ वह पहले से विवाहित थी और उसका तलाक नहीं हुआ था। इस कारण आपके भाई का विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार वैध नहीं था। इस कारण उसकी पत्नी उसके साथ आ कर रहने को बाध्य नहीं थी।

फिर भी वे दोनों साथ रहे और उनके साथ से सन्तान का जन्म भी हुआ। सन्तान के जन्म प्रमाण पत्र में आपके भाई का नाम पिता के रूप में अवश्य लिखा होगा। इस तरह उनका सम्बन्ध लिव-इन-रिलेशन का सम्बन्ध था। इस सम्बन्ध उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक बार परिभाषित किया है। वैसे भी इस सम्बन्ध से उत्पन्न हुई सन्तान का पिता आपका भाई है। सन्तान की माता की मृत्यु हो जाने के कारण आपका भाई ही उसका नैसर्गिक संरक्षक रह गया है और विधिपूर्वक उसकी अभिरक्षा (Custody) प्राप्त करने का अधिकारी है।

आपके भाई को चाहिए कि वह अपनी पुत्री की अभिरक्षा (Custody) प्राप्त करने के लिए जहाँ इस समय उसकी पुत्री निवास कर रही है उस जिले के पारिवारिक न्यायालय में पुत्री की अभिरक्षा प्राप्त करने के लिए उसके नाना नानी के विरुद्ध आवेदन प्रस्तुत करे।

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