तीसरा खंबा

विवाह संबंधी कोई भी कानूनी कार्यवाही करने के पहले विवाह का पंजीयन कराएँ।

समस्या-

गंगानगर, राजस्थान से मनीष ने पूछा है –

मैं ने कुछ समय पूर्व आर्य समाज में एक अन्तर्जातीय अन्तर्जातीय विवाह किया है। आर्य समाज वालों ने हमें विवाह प्रमाण पत्र भी दिया है। विवाह के बाद मेरी पत्नी अपने माता-पिता के साथ ही निवास कर रही है। वह अपने माता-पिता को मनाने का प्रयत्न कर रही है। लेकिन अभी भी उस के माता-पिता हमारे विवाह के पक्ष में नहीं हैं।  हमने अपने विवाह को विवाह पंजीयक के यहाँ पंजीकृत नहीं करवाया है। जिस के कारण हमारे पर विवाह का पंजीकरण प्रमाण पत्र नहीं है। क्या मैं धारा  97, 98 दं.प्र.संहिता में सर्च वारंट निकलवा कर अपनी पत्नी की अभिरक्षा प्राप्त कर सकता हूँ? मेरी पत्नी मेरे पक्ष में बयान देगी। क्या फिर ऐसी कार्यवाही करने के पूर्व मुझे हमारे विवाह को विवाह पंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा लेना चाहिए?

समाधान-

र्य समाज में सम्पन्न विवाह भी एक हिन्दू विवाह है। आज कल देश के अनेक राज्यों में विवाह का पंजीयन अनिवार्य कर दिया गया है। इन राज्यों में राजस्थान भी सम्मिलित है। पंजीयन नहीं कराना अपराध भी बनाया गया है। यह दूसरी बात है कि इस अपराध के लिए दंड अत्यन्त मामूली जुर्माना मात्र है।  लेकिन विवाह से संबंधित किसी भी कार्या के लिए विवाह प्रमाण पत्र का होना आवश्यक कर दिया गया है।  धारा 97, 98 के लिए आवेदन करने पर सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट आप से यह कह सकता है कि आप को विवाह का पंजीयन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना चाहिए।

मारी राय में आप को पहले अपने विवाह का पंजीयन करवा कर पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेना चाहिए। विवाह का पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेने के उपरान्त ही अन्य कानूनी कार्यवाहियाँ करनी चाहिए।

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