संजय कुमार ने पांवटा साहिब, जिला सिरमौर, हिमाचल प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मैंने अनुकम्पा के आधार पर नौकरी के लिए 2010 आवेदन किया था। क्योंकि मेरी माता की मृत्यु के समय मैं नाबालिग था। जब मेरा विवाह नहीं हुआ था तो मुझे पेंशन भी मिलती थी।| जिस कारण मेरे केस को अधिक आय होने के कारण विचाराधीन रखा गया था। किन्तु अब जब मेरा विवाह हो गया है तो मुझे मिलने वाली पेंशन भी बंद कर दी गई है| और नये प्रमाण पत्र के अनुसार मेरे वार्षिक आय 36000/- सालाना है। जब कि मेरे परिवार के कुल सदस्य दो है। बोर्ड कहता है की उपरोक्त स्थिति में आप ही अपनी माता के जायज वारिस आप हैं अत: आपकी पत्नी को आपके परिवार का सदस्य नहीं माना जाएगा एवं आप की आय अकेले ही आपके केस हेतु मानी जायेगी। कृपया मुझे सही सलाह दें।
समाधान-
भारत एक जनतांत्रिक गणतंत्र है। इस में जो भी नौकरियाँ राजकीय, अर्धराजकीय और सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध होती हैं उन पर सारे देश के नागरिकों का अधिकार है। जो भी प्रतियोगिता में उत्तम सिद्ध हो उसे ये नौकरियाँ मिलनी चाहिए। किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। अनुकंपा नियुक्ति इस नियम का अपवाद है। कोई सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र का कर्मचारी अचानक मृत्यु का शिकार हो जाए औरउस का परिवार पूरी तरह निराश्रित हो तो उसे मदद करने के उद्देश्य से अनुकम्पा नियुक्ति के नियम बनाए गए हैं। यह अनुकम्पा मात्र है किसी आश्रित का कोई अधिकार नहीं है। एक अनुकम्पा नियुक्ति एक प्रतियोगी का रोजगार का स्थान छीन लेती है। उस के साथ अन्याय होता है। आप को केवल इस लिए नौकरी मिल जाए कि आप का पालक सरकारी कर्मचारी था। तो देश में बहुत लोग हैं जो आप के जैसे आश्रितों से अधिक असहाय हैं। फसल के बर्बाद होने पर एक किसान आत्महत्या कर लेता है क्या उस के परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलनी चाहिए?
आप को मिलने वाली पेंशन इस कारण बन्द हो गई कि आप बालिग हो चुके हैं। आप की वार्षिक आय 36000 है तो आप सक्षम हैं। आप ने विवाह कर लिया है तो आप की सुविधा के लिए किया है। आप की पत्नी तो आप की माँ की आश्रित नहीं है। उसे आप की माँ के आश्रितों में नहीं गिना जा सकता। यदि आप की आय नहीं थी तो आप को विवाह नहीं करना चाहिए था। कल से आप कहेंगे आप के तीन बच्चे हैं उन्हें भी आपकी माँ के परिवार में गिना जाना चाहिए। आप अनुकम्पा नियुक्ति के योग्य नहीं पाए गए हैं। आप को रोजगार का अपना साधन बनाना चाहिए। सरकारी नौकरी कोई पुश्तैनी जायदाद नहीं है। आप उसे भी पुश्तैनी जायदाद समझ बैठे हैं।
अच्छा तो ये है कि आप अनुकम्पा के रूप में सरकारी नौकरी की आस पूरी तरह त्याग कर कोई रोजगार करें। उसी में आप की भलाई है। भविष्य में यह भी हो सकता है कि अनुकम्पा नियुक्ति का नियम पूरी तरह समाप्त हो जाए।