समस्या-
मैं एक अर्धशासकीय निगम में लगातार 12 वर्ष तक अस्थाई रूपसे निर्धारित वेतन पर कार्यरत रहा था। इस दौरान मेरे वेतन से कर्मचारी भविष्य निधि की कटौती भी होती थी। पिछले 10 वर्षो से मैं घरेलू जिम्मेदारियों के कारण अपने कार्यालय से लापता रहा हूँ। इस दौरान मेरे साथ कार्यरत सभी साथियों को नियमित कर दिया गया है। पिछले 10 वर्षों में मेरे कार्यालय ने मेरी सेवाएँ समाप्त करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की है। अभी मैं ने जब अपने कार्यालय से अपने भविष्य निधि खाते से धन निकालने हेतु संपर्क किया तो वहाँ से जवाब मिला कि पहले त्यागपत्र दो। लेकिन इस स्थिति को जानने के उपरान्त मैं त्यागपत्र नहीं देना चाहता और सेवा में वापस आना चाहता हूँ। इस सम्बन्ध में कानूनी स्थिति क्या होगी? मुझे क्या करना चाहिए।
-मुरारी संजय गोयल, बीना, मध्यप्रदेश
समाधान-
यदि कोई व्यक्ति बिना बताए सेवा से अनुपस्थित हो जाता है और एक लंबे समय तक अनुपस्थित रहता है तो नियोजक के पास यह आधार उपलब्ध रहता है कि कर्मचारी ने स्वयं ही सेवा त्याग दी है। इस तरह उस की सेवाएँ समाप्त समझी जा सकती हैं। दूसरा विकल्प यह है कि नियोजक एक लंबी अवधि तक अनुपस्थित रहने पर आप को आरोप पत्र दे कि आप बिना कोई सूचना दिए और बिना कोई कारण बताए अनुपस्थित हैं जो कि एक दुराचरण है, और आप इस आरोप का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। कर्मचारी का कोई भी उत्तर प्राप्त न होने पर नियोजक कर्मचारी के विरुद्ध औपचारिक जाँच कार्यवाही कर उसे सेवा समाप्ति के दंड से दंडित कर सकता है। आप के मामले में आप के नियोजक के पास उक्त दोनों ही विकल्प खुले हैं। एक तीसरा विकल्प यह भी है कि जब भी कर्मचारी सेवा पर उपस्थित हो उसे सेवा में ले ले और अनुपस्थिति के काल को उस के सेवा काल से हटा कर उस के कुल सेवाकाल की गणना कर ले। यह तीसरा विकल्प तभी संभव हो पाता है जब कि नियोजक को आप की सेवाओँ की आवश्यकता हो और नियोजक कर्मचारी के प्रति अत्यधिक सहिष्णुता का रवैया अपनाए।
अब आप के साथियों के नियमित हो जाने से उन्हें अच्छे वेतन प्राप्त हो रहे हैं और सेवा शर्तें भी अच्छी हैं इस कारण से आप नौकरी करना चाहते हैं। इस लिए मेरी राय में आप को सेवा में उपस्थिति दे देनी चाहिए। एक आवेदन प्रस्तुत कर यह बताना चाहिए कि आप किन कारणों से सेवा में उपस्थित नहीं हो सके थे और अब सेवा में उपस्थित हैं आप को सेवा में लिया जाए। यदि आप द्वारा बताए गए कारणों से आप का नियोजक संतुष्ट हो जाता है तो वह आप को तुरन्त सेवा में ले लेगा। यदि वह संतुष्ट नहीं होता है तो आप को पत्र दे कर यह बताएगा कि आप ने इतने दिन अनुपस्थित रह कर स्वयं ही सेवा का त्याग कर दिया है और अब आप को सेवा में लिया जाना संभव नहीं है। आप की अनुपस्थिति को आप के नियोजक द्वारा स्वेच्छा से सेवा का परित्याग मान लिए जाने पर आप उस के विरुद्ध औद्योगिक विवाद उठा सकते हैं और इस विवाद में यदि श्रम न्यायालय यह मानता है कि आप के पास दस वर्ष की अनुपस्थिति का उचित कारण था और नियोजक को यह मानने का कोई अधिकार नहीं था कि आप ने सेवा का परित्याग कर दिया है तो आप को सेवा दुबारा प्राप्त हो सकती है। श्रम न्यायालय यदि यह मानता है कि आप का दस वर्ष से सेवा में अनुपस्थित रहना सेवा परित्याग के समान है तो आप को कोई भी राहत प्राप्त नहीं होगी। निर्णय बहुत कुछ आप और आप के नियोजक द्वारा श्रम न्यायालय के समक्षअपने अपने पक्ष में प्रस्तुत साक्ष्य पर निर्भर करेगा।
यह आप पर निर्भर करता है कि आप सेवा से त्याग पत्र दे कर अपना हिसाब लेना चाहते हैं या फिर सेवा प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहते हैं।