तीसरा खंबा

मिथ्या साक्ष्य देना धारा 193 के अंतर्गत कारावास से दंडनीय अपराध है।

समस्या-

सत्यनारायण सिंह ने जोधपुर, राजस्थान से पूछा है-

मेरी पत्नी द्वारा किसी हाउसिंग स्कीम में मकान पाने हेतु आवेदन करने के लिए रुपए 5000 प्रतिमाह आय का शपथ-पत्र 10 रुपए के गैर न्यायिक स्टांप पर नोटरी से बनवाया गया था। मैं ने उक्त आय प्रमाण पत्र को फैमिली कोर्ट में लंबित गुजारा भत्ता केस में पत्नी की आय दिखाने हेतु प्रस्तुत किया तो पत्नी ने लिखित में कहा है कि उसने ऐसा कोई प्रमाण पत्र कभी नहीं बनवाया है। मेरी पत्नी, स्टाम्प वेंडर और नोटेरी पर कौन सी आपराधिक और सिविल कार्यवाही किस सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती हैं?

समाधान-

प के मामले में आप को यह निश्चित करना पड़ेगा कि आय का वह शपथ पत्र सही है या फिर आप की पत्नी का बयान सही है। आप के प्रश्न से लग रहा है कि पत्नी का बयान सही है और आप की पत्नी ने हाउसिंग स्कीम का लाभ उठाने के लिए एक मिथ्या शपथ पत्र हाउसिंग स्कीम में प्रस्तुत किया है। इस मामले में आप की पत्नी ने धारा 193 आईपीसी के अंतर्गत अपराध किया है।

धारा 193 आईपीसी के दो भाग हैं पहला भाग तो वह है जिस में किसी न्यायिक कार्यवाही में मिथ्या साक्ष्य देने वाले के लिए सात वर्ष तक की सजा का उपबंध है। दूसरे भाग में किसी भी अन्य मामले में साशय झूठी गवाही देने के लिए दंड का उपबंध है जिस में तीन वर्ष तक के कारावास की सजा दी जा सकती है। आप की पत्नी का अपराध इस दूसरे भाग में आता है।

धारा 193 आईपीसी का अपराध असंज्ञेय अपराध है, अर्थात इस मामले में पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। इस धारा में कार्यवाही के लिए आपको जिस थाना क्षेत्र में अपराध हुआ है उस थाना क्षेत्र पर अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना होगा। परिवाद प्रस्तुत करने और उस में आपके बयान हो जाने के उपरांत सबूत के रूप में दस्तावेज एकत्र करना आवश्यक होगा। जो कि हाउसिंग स्कीम में प्रस्तुत किया गया शपथ पत्र है और आवेदन पत्र है। उन्हें बरामद करने के लिए पुलिस को जाँच के लिए भेजने हेतु मजिस्ट्रेट आदेश दे सकता है।

यदि आप सिद्ध कर सकते हैं कि आप की पत्नी ने वह प्रमाण पत्र सही बनवाया था और वह न्याया्लय के समक्ष मिथ्या कथन कर रही है तो यह न्यायालय को झूठी सूचना देने का अपराध है जो कि धारा 177 आईपीसी के अंतर्गत दो वर्ष तक के कारावास से दंडनीय है। यह भी असंज्ञेय अपराध है पर इस के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिए आप को परिवार न्यायालय में ही धारा 340 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आप की पत्नी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए आवेदन करना होगा।
इस मामले में स्टाम्प वेंडर और नोटेरी के विरु्दध कोई अपराध नहीं बनता है क्यों कि स्टाम्प वेंडर ने केवल स्टाम्प बेचा है और नोटेरी ने शपथ पत्र को सत्यापित किया है।

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