दैनिक भास्कर कुरुक्षेत्र ने समाचार (दहेज में अटक जाते हैं रिश्ते) है कि केन्द्र सरकार ने इस तरह का निर्देश जारी किया है कि इस तरह के मामलों में अन्वेषण किया जाए और धारा 498-ए के लिए पर्याप्त सबूत मिल जाने पर ही मामले में धारा 4987-ए के अनुसार कार्यवाही की जाए। अभी हालत यह है कि देश भर में वर्ष में 70 हजार मामले इस धारा के अंतर्गत दर्ज किए जाते हैं। प्रतिदिन अनेक निर्दोष वरिष्ठ नागरिक, महिला और बच्चे इस धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किए जाते हैं। केन्द्र सरकार के इस निर्देश के उपरांत इस तरह के मामलों में कमी आएगी और निर्दोष लोग इस का शिकार होने से बचेंगे। इस कानून की जो बदनामी हुई है वह भी कम हो सकेगी।
वास्तविकता यह है कि देश में ऐसी विश्वसनीय संस्थाओं की बहुत कमी है जो वैवाहिक मामलों में दोनों पक्षों को बुला कर उन के बीच के विवाद को समझने का प्रयत्न करें और उन की समझाइश के माध्यम से विवादों को हल करें। सरकारों ने पुलिस विभाग के अंतर्गत इस तरह के समझौता केंद्र चला रखे हैं वहाँ इस काम को करने वाले विशेषज्ञों के न होने के कारण उन का लाभ नहीं मिलता है, अन्यथा अधिकांश पारिवारिक विवाद काउंसलिंग के माध्यम से हल किए जा सकते हैं।