तीसरा खंबा

इलेक्ट्रोनिक अभिलेखों की अन्तर्वस्तु धारा 65ख के प्रावधानों के अनुसार साबित की जा सकती है

समस्या-

क लड़की द्वारा मुझ पर अपहरण और बलात्कार का मुक़दमा किया गया।  प्रकरण का न्यायालय में विचारण चल रहा है।  वह लड़की मुझ से जैल में मिलने जाती थी और मेरे साथ मोबाइल पर बात भी करती थी जिसे मैंने रेकॉर्ड कर लिया है और उसकी सीडी बनवा ली।  अभी न्यायालय में लड़की के बयान में उस से जिरह चल रही है।  जिरह में उस ने कहा कि वह  जैल मे मुझ से मिलने नहीं जाती थी और मोबाइल पर बात भी नहीं करती थी।  मेरे वकील ने जज के सामने निवेदन किया कि जैल से मुझ से मिलने वालों का रिकार्ड मँगवाया जाए तो जज  ने कहा कि मुझे न्यायिक दृष्टान्त (रूलिंग) दीजिए की जिरह के दौरान ऐसे दस्तावेज मंगाए  जा सकते हैं।   मेरे वकील ने रूलिंग दी है लेकिन उस में केवल अंगूठे का निशान और हस्ताक्षर के बारे में उल्लेख है।  वॉयस रेकॉर्डिंग के बारे में उल्लेख नही है।  कृपया ये बताएँ कि साक्ष्य अधिनियम या किस अन्य अधिनियम के तहत वॉयस रिकॉर्डिंग को कोर्ट में रखा जा सकता है। यदि वह लड़की अपनी आवाज़ से मुकर जाती है तो उसका परीक्षण करने का क्या नियम है? कृपया विस्तार से बताएँ।  क्यों कि मेरे जज साहब को हर बात पर रूलिंग चाहिए।  मेरे वकील साहब को ये रूलिंग नहीं मिल रही है। कृपया मेरी मदद करें।

-अशोक तिवारी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

समाधान-

प के प्रश्न से यह ठीक से पता नहीं लग रहा है कि वास्तव में आप की परेशानी क्या है और न्यायालय को किस कानूनी तथ्य के बारे में न्यायिक दृष्टान्त चाहिए।  हम आप के प्रश्न से केवल यह अनुमान लगा सके हैं कि क्या वॉयस रिकार्डिंग को एक साक्ष्य के बतौर ग्रहण किया जा सकता है या नहीं?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम आरंभ में 1872 में अधिनियमित किया गया था।  उस समय तक इलेक्ट्रोनिकी इतनी विकसित ही नहीं थी कि उस में इलेक्ट्रोनिक साधनों से उत्पन्न की हुए रिकार्ड को साक्ष्य के रूप में ग्रहण किए जाने के संबंध में उपधारणा की जाती।  लेकिन समय के साथ इस तरह के साधनों के माध्यम से उत्पन्न रिकार्ड को साक्ष्य के रूप में ग्रहण करने की आवश्यकता महसूस की गई और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में तदनुरूप अनेक संशोधन कर के नए उपबंध जोड़े गए हैं।

साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 क में यह उपबंध किया गया है कि इलेक्ट्रोनिक अभिलेखों की अन्तर्वस्तु धारा 65ख के प्रावधानों के अनुसार साबित की जा सकती है।

धिनियम की धारा 65ख में यह अधिनियमित किया गया है कि इलेक्ट्रोनिक अभिलेख में अन्तर्विष्ट कोई सूचना जो कागज पर मुद्रित है और कम्प्यूटर द्वारा उत्पादित प्रकाशकीय या चुम्बकीय माध्यम में भंडारित, अभिलिखित या नकल की गई है को दस्तावेज होना माना जाएगा तथा उसे साक्ष्य में ग्राह्य माना जाएगा। इस तरह के अभिलेख को साक्ष्य में प्रस्तुत करने के संबंध में कुछ शर्तें इस धारा में दी गई हैं। जिन की पालना किया जाना आवश्यक है।

स तरह आप के द्वारा अपने मोबाइल में रिकार्ड किया गया संदेश और उस से कंप्यूटर की सहायता से बनाई गई उस की प्रतिलिपि एक दस्तावेज है जो धारा 65ख के प्रावधानों के अनुसार न्यायालय के समक्ष साक्ष्य के रूप में ग्रहण की जा सकती है। इस सम्बंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा State (N.C.T. Of Delhi) vs Navjot Sandhu@ Afsan Guru के मामले में दिनांक 04.08.2005 को तथा Societe Des Products Nestle S.A. … vs Essar Industries And Ors के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 04.09.2006 को दिए गए निर्णय आप के काम के हो सकते हैं।  इन निर्णयों को आप उन के शीर्षकों पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं और प्रिंट कर के अपने काम में ले सकते हैं।

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