समस्या-
अर्जुन ने चौमू, जयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
हम ३ भाई और ३ बहिन है, जिस में से हमारी बड़ी बहिन की डेथ हो गयी २००६ में तथा मेरे पिताजी की डेथ २००९ में हो गई। पिता जी की डेथ के बाद किसी ने हमारी जमीन का गलत नामांतरण खुलवा दिया। अगर बहिन की डेथ पहले हो गयी और पिताजी की बाद में तो क्या बहिन के नाम नामांतरण खुल सकता है क्या? और अगर क़ानूनी रूप से यदि ये गलत है तो गलत नामांतरण खोलने वालों व खुलवाने वालो को दंड दिलवाने के लिए क्या करवाई की जानी है, उस के बारे में उचित जानकारी देने की कृपा करें।
समाधान-
आप ने समस्या को ठीक से रखा ही नहीं है। आप ने खुद फैसला कर लिया कि नामान्तरण गलत खुला है। नामान्तरण में क्या गलत हुआ है यह ठीक से नहीं लिखा है। नामान्तरण हिन्दू उत्तराधिकार के नियम के अनुसार किया जाना चाहिए। यह सही है कि नामान्तरण पिताजी के खाते का खुला है इस कारण उन के उत्तराधिकारियों के नाम उन के स्थान पर खाते में अंकित किए जाएंगे।
आप की बड़ी बहिन का देहान्त पिताजी के देहान्त के तीन वर्ष पहले ही हो चुका है। किसी मृत व्यक्ति के नाम तो नामान्तरण हो नहीं सकता। लेकिन यदि नामांतरण करने वाले अधिकारी को यह न बताया जाए कि आप की बहिन की मृत्यु हो चुकी है तो उसे जीवित मानते हुए ही उस के नाम नामान्तरण किया जा सकता है। यदि उस के समक्ष बड़ी पुत्री की मृत्यु का प्रमाण उपस्थित न किया गया हो तो इस निर्णय में कोई गलती नहीं है। लेकिन फिर भी गलत नामांकन हो गया है तो उस की अपील की जा सकती है।
लेकिन जिस दिन पिताजी का देहान्त हुआ है उस दिन आप की बहिन के उत्तराधिकारी अर्थात उन की संतानें जीवित हुई तो वे भी प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी हैं। उन का नाम उन के स्थान पर अंकित होगा।
लेकिन नामान्तरण यदि जानबूझ कर गलत किया गया है तो उस की शिकायत बड़े अधिकारी से की जा सकती है। यह उस अधिकारी के नियोक्ता अधिकारी का कर्तव्य है कि उस की जाँच करे और किसी तरह का दोष पाए जाने पर उसे नियमानुसार दंडित करे।