श्रवण राठौर ने जयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरे पिता जी का स्वर्गवास दिनांक 01/03/1999 को हो गया। मुझे 2008 में पता चला कि खेत का म्यूटेशन वारिसों के नाम करवाना है। मैं 26/07/2008 को गाँव कोयल, पंचायत दुजार, तहसील लाडनूं आया। सरपंच जी से मिला वो बोले पिता जी का मृत्यु प्रमाण पत्र है? मैंने कहा नहीं। तो ग्रम सेवक के नम्बर दिये बोले बनवा लाओ। मैं बनवा लाया। पटवारी जी के नम्बर दे के बोले पैसे दे आओ म्यूटेशन हो जायेगा। पटवारी के पास गया। वह बोले 3-4 दिन मेरे पास वक्त नहीं है सरपंच को पैसे दे जाओ। मैं ने सरपंच को 4000 रुपए दिये और जयपुर चला आया। फोन पर बात करता रहा, 6 महीने तक सरपंच कहते रहे, हो जायेगा। बाद में पता चला जमीन 08/09/2008 को 2 व्यक्तियों के नाम नामान्तरकरण हो गई। आज मैंने नकल निकलवाई तो पता चला 02/08/2008 को ही सरपंच ने जमीन दूसरे के नाम चढ़वा दी। कानून के अनुसार किसी की मृत्यु होने के 10 वर्ष बात वारिसों की सहमति के बिना जमीन किसी दूसरे के नाम कर सकते हैं क्या?
समाधान–
म्यूटेशन या नामान्तरकरण कानून के अनुसार होता है। कृषि भूमि का स्वामित्व राज्य का होता है तथा कृषक उस जमीन पर केवल टीनेंट होता है। जिस की हैसियत एक किराएदार जैसी होती है। जब किसी टीनेंट का देहान्त हो जाता है तो टीनेन्ट की व्यक्तिगत विधि के अनुसार जो भी उस के उत्तराधिकारी होते हैं तो उन के नाम उत्तराधिकार के अनुसार राजस्व विभाग के भूमि अभिलेख में हिस्से दर्ज हो जाते हैं। उदाहरण के रूप में आप के पिता जी के उत्तराधिकारी आप की माता जी, आप के भाई व बहनें और आप की दादी होंगे जिन के नाम बराबर हिस्से दर्ज होंगे। इन में से से यदि दादी और माता जी नहीं हैं तो केवल भाई व बहिन ही उत्तराधिकारी होंगे। यदि किसी भाई या बहिन की पहले ही मृत्यु हो चुकी है तो उस का हिस्सा उस के उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज होगा। यदि इन में से कोई व्यक्ति अपना हिस्सा किसी अन्य उत्तराधिकारी को देना चाहता है या फिर शेष उत्तराधिकारियों के नाम छोड़ना चाहता है तो उसे अपना हिस्सा छोड़ने के लिए एक रिलीज डीड निष्पादित करनी चाहिए।
आप के पिता के खाते का जो नामान्तरण दर्ज हुआ है वह गलत दर्ज हुआ है। आप ने अभी नकल निकलवाई है। आप को चाहिए कि तुरन्त इस नामान्तरण को रद्द करने व कानून के अनुसार नामांतरण करने के लिए इस नामांतरण आदेश की अपील जिला कलेक्टर को प्रस्तुत करें। देरी न करें। कहीं ऐसा न हो अपील का समय निकल जाए और आप की अपील देर से प्रस्तुत करने के आधार पर निरस्त हो जाए।