तीसरा खंबा

पत्नी घोषणा अथवा विभाजन का वाद प्रस्तुत कर सकती है।

malicious prosecutionसमस्या-

शैलेश जैन ने शुजालपुर जिला शाजापुर, मध्यप्रदेश से पूछा है-

मेरे दादा सुसर स्‍व० फूलचंद जी जैन के नाम पर एक मकान है, मेरे दादा ससुर उनकी पहली पत्नी के मरने के पश्‍चात दूसरी शादी की थी।  मेरे दादा ससुर फूलचंद जी की कुल ९ संताने हैं, तीन लडके एवं छ लडकियां। मेरे ससुर सबसे बडे पुत्र थे उनका देहांत हो चुका है। मेरे ससुर के मेरी पत्नी सहित पांच वारिसान हैं। इस प्रकार उक्‍त मकान में कुल चौदह वारिसान हैं। मेरी दादी सास ने मेरे ससुर के वारिसानों को अनदेखा करते हुए नगरपालिका में नांमान्‍तरण हेतु आवेदन किया जिसमें उन्‍होंने उनके नाम का नामांतरण चाहा, नामातंरण प्रकरण में मेरी पत्नी की जानकारी के बिना झूठा सहमति पत्र बनाकर लगा दिया। जिस पर मेरे द्वारा आपत्ति प्रस्‍तुत कर दी गई है। मैं जानना चाहता हूं कि अब मुझे आगे क्‍या करना चाहिए, नगरपालिका का कहना है कि, न्‍यायालय से उत्‍तराधिकार का फैसला होने के बाद ही नामातंरण प्रकरण आगे बढाया जाएगा।

समाधान-

प ने बताया नहीं कि नगरपालिका ने नामान्तरण किए जाने से लिखित में मना किया है या फिर मौखिक ही यह बात कही है कि वे उत्तराधिकार का निर्णय न्यायालय से हुए बिना नामान्तरण नहीं करेंगे। यदि नगरपालिका ने यह मौखिक ही कहा है तो आप आरटीआई में एक आवेदन दे कर नगरपालिका से पूछ लें कि नामान्तरण आवेदन जिस पर आप ने आपत्ति की है का निस्तारण क्यों नहीं किया जा रहा है। इस से नगरपालिका की ओर से आप को उत्तर मिल जाएगा। तब आप की पत्नी नगरपालिका के विरुद्ध घोषणा का वाद प्रस्तुत सकती हैं कि उन का संपत्ति में कितना हिस्सा है। इस में सभी उत्तराधिकारियों को पक्षकार बनाना होगा।

यदि आप की पत्नी चाहे तो सीधे संपत्ति के विभाजन का वाद जिला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है और उस में नगरपालिका को पक्षकार बना कर न्यायालय के निर्णय तक नामान्तरण दर्ज न करने का आदेश दे सकती है।

झूठा सहमति पत्र यदि नगरपालिका की पत्रावली में मौजूद है तो उस की प्रतिलिपि ले कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने के अपराध में उसे प्रस्तुत करने वाले के विरुद्ध न्यायालय में अपराधिक परिवाद भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

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