समस्या-
नोयडा, उत्तर प्रदेश से अनिल कुमार त्रिपाठी ने पूछा है-
मेरे छोटे भाई की शादी साल २०११ में अप्रैल माह में होना तय हुआ। लड़की के पिता का देहांत हो जाने के कारण हमारे बड़े पिता जी ने ज्यादा जोर देकर हमारे पिताजी से शादी के लिए हामी भरवा ली जबकि उनकी इच्छा नहीं थी। तिलक लेकर लड़की वाले हमारे यहाँ निर्धारित तिथि को आये। कार्यक्रम चल रहा था कि अचानक लड़की वालों ने कहा कि लड़का पोलियो का शिकार है। इसलिए हम शादी नहीं कर सकते इस बात का हमें अभी चला है। इस के पीछे गाँव के कुछ लोगों ने लड़की वालों को भड़का दिया था। मेरे भाई को एक सड़क दुर्घटना में हाथ में गंभीर चोट आयी थी जो आपरेशन के बाद ठीक है। शादी से इनकार करने के बाद ठीक उसी समय लोगों ने समझाने की कोशिश की। बाद में वो लोग पुलिस के पास गए। फिर उसी समय पुलिस आयी और मामले की जानकारी लेकर सुबह थाने में आने को कहकर चली गयी। वहाँ जाने पर सारे पुलिस वाले लडकी वालों की गलती बताने लगे और कहने लगे की अगर तुम्हे शादी नहीं करनी थी तो इसके बारे में पहले ही जानकारी कर लेनी चाहिए थी। हमारी तरफ से कुछ भी छुपाया नहीं गया था। लड़का लड़की के यहाँ जा कर लोगों से बात करके भी आया था। वहाँ पर ये तय हुआ कि जो भी सामान लो तिलक में लेकर आये थे सारा वापस कर दिया। अगले दिन गांव के लोगों द्वारा ही समाचार पत्र में गलत समाचार प्रकाशित करवाया गया कि लड़के के लंगड़े होने के बारात वापस हो गयी। क्या हम समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के खिलाफ कानूनी कार्यावाही कर सकते हैं। यदि हाँ तो किसके विरुद्ध यदि नहीं तो क्यों?
समाधान-
ऐसे समाचार के लिए समाचार पत्र के संपादक, प्रकाशक और मुद्रक तीनों जिम्मेदार हैं। इस के लिए जिस व्यक्ति या व्यक्तियों की अपहानि हुई है उन्हें इन तीनों को विधिक नोटिस भिजवा कर अपहानि के लिए हर्जाने की मांग करनी चाहिए और कहना चाहिए कि अपहानि के लिए हर्जाने की राशि का भुगतान न करने पर उन के विरुद्ध न केवल हर्जाने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा। अपितु किसी की अपहानि करना भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है और उन के विरुद्ध इस के लिए भी मुकदमा चलाया जाएगा।
इस नोटिस की अवधि समाप्त हो जाने के उपरान्त समाचार पत्र के संपादक, प्रकाशक और मुद्रक के विरुद्ध धार 500 भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत सक्षम न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन ऐसा परिवाद समाचार पत्र में समाचार प्रकाशन की तिथि से तीन वर्ष पूर्ण होने के पूर्व ही किया जाना संभव है।
अपहानि के लिए हर्जाना प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद भी प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन यह वाद समाचार प्रकाशित होने की तिथि के केवल एक वर्ष की अवधि में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। इस वाद में जितनी राशि हर्जाने के रूप में मांगी जाएगी उस पर आप को न्याय शुल्क भी वाद प्रस्तुत करने के साथ ही न्यायालय को अदा करना होगा।