तीसरा खंबा

मृत पुत्री की पुत्री को भी उत्तराधिकार का अधिकार है।

समस्या-

             श्रीमानजी,  हम दो भाई  ईशर राम और केशर राम और तीन बहिने नाथी, उमा और इंद्रा थे। मेरी बड़ी

 बहिन नाथी की १९७१ में मृत्यु हो गयी। वह एक लड़की पीछे छोड़ गई। उस टाइम मेरी छोटी बहिन इंद्रा कुंवारी थी और हमने सामाजिक रीती रिवाज़ के हिसाब से नाथी की जगह इंद्रा की शादी कर दी। मेरी माताजी की मृत्यु १९९१ में हो गयी और पिताजी की २०१० में मृत्यु हो गयी। उस के बाद पटवारी ने ईशर राम, केशर राम, नाथी, उमा व इंद्रा के नाम से नामकरण दर्ज कर दिया। जबकि नाथी की मृत्यु १९७१ में ही हो चुकी थी। अब नाथी की लड़की ने नाथी का death certificate व वारिस नामा पेश कर १/५ हिस्से में अपना नामकरण दर्ज करवा लिया है

१.जब नाथी की मृत्यु १९७१ में हो चुकी थी फिर भी पटवारी ने २०१० में उस के नाम नामकरण दर्ज किया है क्या यह कानूनी रूप से उचित है?

२. जब हमने नाथी की जगह इंद्रा  की शादी कर दी तो नाथी की लड़की इंद्रा की गोद की लड़की हो गई। वो इंद्रा के हिस्से में से अपना हिस्सा मांग सकती है और इंद्रा के बच्चे और नाथी की लड़की का पिता तो एक ही हुआ, वहाँ उस के गाँव में उसके पिताजी की मृत्यु के बाद में इंद्रा के बच्चो के बराबर ही हिस्सा मिलेगा, जब उसके गाँव में उसके पिताजी की सम्पति में से उसको इंद्रा के बच्चों के बराबर हिस्सा मिलेगा तो हमारे यहां उसको अलग से हिस्सा कैसे मिलेगा?  क्या मुझे उसके नामान्तरण की कोर्ट में अपील करना चाहिए या और कोई कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए?

-केशर राम, निवासी गाँव – पोस्ट–मुर्डकिया, तहसील-सुजानगढ़, जिला चूरू,  राजस्थान

समाधान-

          सब से पहले तो आप यह समझिए कि आप ने अपनी छोटी बहिन इन्द्रा का विवाह किसी दूसरे स्थान पर किया है और फिर समस्या के बारे में सोचिए।

          अब जो नामान्तरण हुआ है उस में यह गलती हुई है कि मृत नाथी के नाम भी हिस्सा चढ़ गया है। यह इस कारण हो सकता है कि नामान्तरण करने वाले अधिकारी के ज्ञान में यह तो आया कि आपके माता पिता के कितनी संतानें हैं और कौन कौन हैं, लेकिन यह ज्ञान में न आया कि उन में से नाथी की मृत्यु हो चुकी है।

          यदि नामान्तरण अधिकारी के ज्ञान में यह होता कि नाथी की मृत्यु हो चुकी है तो भी हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार पूर्व में मृत पुत्री की पुत्री को उस का हिस्सा प्राप्त होता। उस स्थिति में भी नाथी का हिस्सा नाथी की पुत्री को प्राप्त होता। इस कारण इस नामान्तरण से पुराने नामान्तरण की गलती दुरुस्त कर दी गयी है।

          नाथी के स्थान पर आप ने इन्द्रा का विवाह कर दिया इस से नाथी की पुत्री इन्द्रा की गोद पुत्री नहीं हुई बल्कि सौतेली पुत्री हुई। उसे इन्द्रा के हिस्से में से हिस्सा प्राप्त करने का कोई अधिकार कभी उत्पन्न नहीं होगा।

          नाथी की पुत्री को अपने पिता की किसी संपत्ति में से कुछ उत्तराधिकार में प्राप्त होता है तो वह प्राप्त होगा इस से उस के माँ या नाना नानी की संपत्ति में से उत्तराधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

          इस तरह जो भी वर्तमान स्थिति है वह कानून के अनुसार बिलकुल सही है। आप यदि किसी की खराब सलाह के कारण कोई कानूनी कार्यवाही करते हैं तो उस से आप को कुछ न मिलेगा। आप का समय और धन भी व्यर्थ ही खर्च होगा।

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