उपभोक्ता की सेवा में दोषी बिल्डर ने चैक चुरा कर फर्जी हस्ताक्षर कर के बैंक में पेश किया और चैक अनादरण का नोटिस भेजा है, क्या करें?
|जीतेश कुमार चंद्रवंशी पूछते हैं-
मैंने नवंबर 2008 में बिल्डर से मकान निर्माण का अनुबंध किया। लोन भी सेंक्शन हुआ, बाद में अप्रैल 2009 में हमने गृह प्रवेश किया। मकान में रहने जाने पर हमें ज्ञान हुआ कि मकान निर्माण में कई खामियां रह गई है। हमने इससे बिल्डर को अवगत कराया, लेकिन वह कई बार टालता रहा। अंततः हमने 05 सितंबर 09 को उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दायर कर दिया।
बिल्डर ने नवंबर में हमें एक चैक अनादरण का नोटिस भेजा, जिसमें 1.75 लाख रुपए लेना बताया गया, जिसमें 75 हजार मकान निर्माण में बाकी और शेष एक लाख रुपए उधार लेना बताया गया। लेकिन बैंक की डिटेल से स्पष्ट है कि निर्माण संबंधी राशि उसके पास पहुंच चुकी है और एक लाख रुपए के लेन-देन का वह स्पष्टीकरण वह अब तक नहीं दे पाया है। हमनें इस पूरे मामले की जानकारी सीएसपी व थाना प्रभारी को दी, लेकिन वे अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।
15 जनवरी 2009 को उसने एक अन्य चेक के अनादरण का नोटिस अन्य व्यक्ति के नाम से भेजा, जिसमें उसने 1.50 लाख रुपए व्यक्तिगत संबंधों के चलते उधार लेना बताया। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि मैं उस व्यक्ति को जानता ही नहीं, जिसके नाम से नोटिस आया। जब मैंने बैंक जाकर पड़ताल की तो पाया कि उक्त चैक बैंक में पहुंचा ही नहीं। उक्त नोटिस की प्रति भी थाना प्रभारी को दी गई, लेकिन वे कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इसका कोई कारण नहीं बताया गया है।
उपभोक्ता फोरम में हमारे साक्ष्यों के आधार पर हमारा पक्ष मजबूत है और जवाब में उसने मकान निर्माण संबंधी बातें तो नहीं कही, उल्टा यह कहा कि रुपए न लौटाने की मंशा से हमने उनके खिलाफ मुकदमा कायम किया है।
हमारे चैक उस तक कैसे पहुंचे? यह सवाल आपके मन में उठ रहा होगा। इसका उत्तर यह है कि जब हमारा लोन सेंक्शन हो रहा था (अक्टूबर 08 में) उस दौरान मेरी चेकबुक व पासबुक उसके हाथों में थी। संभवतः उसी दौरान मेरे दो चैक उसमें से निकाल लिए होंगे। निकाले गए चैकों पर मेरे हस्ताक्षर नहीं थे। अवश्य ही फर्जी बनाए गए होंगे. उसकी यह मंशा रही होगी कि मकान निर्माण में खराबी उजागर होने पर यदि हम उसके खिलाफ मुकदमा दायर करते हैं, तो वह उन चैकों को हथियार बना सके।
बिल्डर द्वारा फर्जी हथकंडे अपनाकर हमें परेशान किया जा रहा है। कृपया निष्पक्ष रूप से बताइए कि अब हम क्या करें?
उत्तर-
चंद्रवंशी जी,
आप का मामला शीशे की तरह साफ है। आप ने बिल्डर से मकान बनवाया और उस का भुगतान कर दिया। आप कहीं भी डिफाल्टर नहीं है। जब मकान में रहने गए और उस में दोष दिखाई दिए तो उन्हें दुरूस्त करने के लिए कहा। उस ने ध्यान नहीं दिया तब आप ने उपभोक्ता मंच के सामने अपना परिवाद प्रस्तुत किया। आप ने ठीक किया। यदि आप उपभोक्ता मंच के समक्ष तथ्यों और साक्ष्यों को सही तरीके से रखा तो आप को वहाँ से राहत अवश्य मिलेगी।
बिल्डर ने अपने इसी दायित्व से बचने के लिए आप को चैक के माध्यम से परेशान करना आरंभ किया है। लेकिन पहले उस ने आप के चैक चुरा कर एक अपराध किया है। फिर उन पर हस्ताक्षर बना कर कूट
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6 Comments
आजकल बिल्डरों के चंगुल से बिना वकील की सलाह के निकलना बहुत ही मुश्किल हो गया है | आपके दवारा दी गयी जानकारी के लिए आभार |
उम्दा उपयोगी जानकारी दी है और इस मुद्दे के समाधान के लिए आपने बढ़िया सलाह दी हैं . आभार
बहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद्
बहुत अच्छी जानकारीं रही ।
धन के लिये लोग क्या क्या नही करते, आप ने अच्छी जानकारी दी जो बहुत से लोगो के काम आयेगी
इस बहानें हम सभी को भी जानकारी मिल गयी.