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क्या मैं पत्नी की धमकियों के बीच, उस के तलवे तले जीता रहूँ?

महेन्द्र  कुमार  पूछ रहे हैं … 

प्रश्न –

मैं एक कम्प्यूटर प्रोफेशनल हूँ अररिया में रहता हूँ, मेरा मूल निवास यहाँ से 100 किलोमीटर दूर घुमा में  है। मैं  बहुत व्यस्त रहता हूँ, इस कारण से मैं लम्बे समय तक मूल निवास घुमा नहीं जा पाता हूँ। मेरी पत्नी और उस के परिवार के सदस्य सेपेरेशन चाहते हैं, और उस के लिए मुझ पर दबाव डालते हैं। मैं ने इस के लिए मना कर दिया। इस पर मेरी पत्नी ने मुझ से यौन संबन्ध बनाने के लिए सेपरेशन की शर्त रखी। मैं ने उस के लिए वायदा किया। मेरे कोई बहिन नहीं है और माँ लगातार बीमार रहती है। इस कारण से मैं ने मना कर दिया। पिछले वर्ष मेरे ससुर कुछ लोगों के साथ मेरी अनुपस्थिति में घुमा गए और झगड़ा किया। मेरे पिता जी ने कहा कि विवाद तभी हल हो सकता है जब मैं वहाँ रहूँ।

कुछ असामाजिकों की सहायता से  वे मेरी पत्नी को स्थानीय थाने ले गए और एफआईआर दर्ज करवा दी कि मैं और मेरा परिवार उस के साथ  क्रूरता से पेश आता है और उस दिन मेरा परिवार उसे जलाना चाहता था। वह मिट्टी के तेल से भीगी हुई थी। पुलिस ने मेरे और मेरे परिवार के विरुद्ध 498ए भा.दं.सं. में मुकदमा बना दिया। मैं स्थानीय पुलिस अधीक्षक के पास गया और उन्हें सारा विवाद बताया। उन्हों ने एक इंस्पेक्टर से और फिर एक उप अधीक्षक से जाँच कराई। दोनों ने मुझे क्लीन चिट दे दी और केस डायरी में लिखा कि एफआईआर इरादतन लिखाई गई है। इस के बाद जून, 2008 से मेरे ससुर जी मेरी पत्नी को मेरे साथ रखने को दबाव डाल रहे हैं और सभी विवाद समाप्त करने के लिए कह रहे हैं। कुछ अन्य लोग महिला का मामला देख कर उस का पक्ष ले रहे हैं। एक दिन वे मेरे अररिया के आवास पर आए और पत्नी को मेरे पास छोड़ गए।  मैं ने इस का विरोध किया, लेकिन औरों ने उन का पक्ष लिया और कहा कि इसे अपने पास रखो।

लेकिन मुख्य समस्या यह है कि वह हमेशा मुझे धमकाती है कि वह फिर से एफआईआर लिखा देगी या खुद को आग लगा लेगी। मुझे जेल भिजवा देगी और खुद कुछ दिन में ठीक हो जाएगी।

मैं बहुत समस्या में हूँ। क्या पुरुष के पक्ष में कुछ भी नहीं है? क्या सभी महिलाएँ सही हैं? और वे जो कुछ कहती हैं वह सब सही है। फिर पुरुष कैसे जिएगा? क्या यही मेरा भाग्य है कि मैं इसी तरह उस की धमकियों के बीच उस के तलवे तले जीता रहूँ? मैं नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए? क्या आप मेरी कुछ अधिक सहायता कर सकते हैं? या मेरे पास कोई उपाय है ही नहीं?

उत्तर-

महेन्द्र जी आप की समस्या अत्यन्त जटिल हो गई है, और दुख की बात यह है कि इस समस्या को जन्म आप ने ही दिया है।  आप की पत्नी सिर्फ आप के साथ रहना चाहती है, जो उस का अधिकार है। आप ने विवाह किया और अपनी पत्नी को अपने माता-पिता के पास छोड़ दिया। जब भी आप को अवकाश होता है आप वहाँ जाते हैं, शायद माह में एक या दो बार। कंप्यूटर प्रोफेशनल होने का अर्थ यह ही कि आप को समय वैसे ही कम होता होगा। अब अकेली पत्नी आप की बीमार माँ और आप के पिता की देखभाल में लगी है और आप 100 किलोमीटर दूर धन कमाने में। 

आज कोई त्रेतायुग नहीं है जो लक्ष्मण उर्मिला को छोड़ कर राम-सीता के साथ वन में चले गए। विवाह के बाद पत्नी सदैव चाहती है कि वह अधिक से अधिक पति के साथ रहे और अपनी गृहस्थी को जमाए। आप की पत्नी का यह सपना जब प्रतीक्षा के बाद भी पूरा नहीं हुआ तो  उस ने आप के साथ रहने की बात की जिसे आप यह समझ रहे हैं वह सेपरेशन की बात कर रही है। आप की पत्नी और ससुराल वालों ने जो भी किया वह तब किया जब आप उन की सुनने को तैयार नहीं थे। यह अच्छा रहा कि आप ने रास्ता खोज लिया। अन्यथा 498-ए आईपीसी में गिरफ्तारी हो सकती थी। आप की पत्नी को अब भी भय है कि आप उसे फिर से अपने माता-पिता के पास न छोड़ दें।

यह सही है कि बीमारी में सास-ससुर की सेवा करना एक  कर्तव्य है। लेकिन कोई भी किसी के प्रति अपने कर्तव्य को भूल कर कैसे उसे अपने कर्तव्य की दुहाई दे सकता है। आप की पूरी परिस्थितियाँ ज्ञात नहीं हैं। इस लिए कोई निश्चित हल नहीं सुझाया जा सकता है। हाँ यदि आप पूरा विवरण दें कि आप के पिता की आय का साधन क्या है? वे इतनी दूर क्यों रहते हैं? क्या आप उन्हें अपने साथ नहीं रख सकते? आदि आदि।

आप की पत्नी के चले जाने पर माता-पिता की सेवा में तो बाधा आ ही गई है। आप पत्नी को अपने पास रखें, उसे धीरे-धीरे प्रेम से सारी स्थितियाँ समझाएँ। हो सके तो कुछ अवधि के लिए अपनी माँ को अपने पास ला कर रखें। कभी आप अपनी पत्नी को अपनी माँ के पास रखें। यह काम आप आरंभ से ही करते तो यह समस्या ही खड़ी नहीं होती। कोई भी औरत अपने विवाह में खलल डालना पसंद नहीं करती। यदि आप कुछ समय तक अपने वैवाहिक कर्तव्य अपनी पत्नी के साथ निभाएंगे तो समस्या का हल संभव है। कानून केवल आप की समस्या को लंबा कर सकता है। आप के जीवन में सुख शांति नहीं ला सकता। 

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