जमीन खरीदने पर तीसरा आदमी पहले से कंट्रेक्ट होने और कार्यवाही की धमकी दे रहा है, मैं क्या करूँ?
|मैं ने एक जमीन खरीदी है, जिस का पहले से एग्रीमेंट तीसरे पक्ष से था और एक माह पहले मेरे नाम से रजिस्ट्री जमीन मालिक द्वारा करा दिया है। तीसरा पक्ष विरोध कर कानूनी कार्यवाही करने की धमंकी दे रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?
जब भी कोई स्थाई संपत्ति खरीदी जाए तो खरीददार का यह दायित्व होता है कि वह संपत्ति के संबंध में छानबीन कर खरीदे कि संपत्ति किसी प्रकार से झगड़े की तो नहीं है, उस पर कोई भार तो नहीं है और कोई मुकदमा वगैरह तो नहीं चल रहा है। यह जानकारी सब से पहले तो खरीददार को विक्रेता से ही पता चलती है। बीच में कोई दलाल हो तो उस से पता लग सकती है, जहाँ वह संपत्ति स्थित है उस के पड़ौसियों से पता लग सकती है। विक्रेता द्वारा दिखाए गए संपत्ति के स्वामित्व के दस्तावेजों से पता लगती है और उप पंजीयक के कार्यालय में संबंधित संपत्ति के संबंध में किसी वकील द्वारा तलाश करवा कर की जा सकती है। वकील इस के लिए संपत्ति के भार मुक्त होने का प्रमाण पत्र भी बनवा कर देगा। इस तरह के प्रमाण पत्र सभी वित्तीय संस्थान जो संपत्ति की खरीद और उस पर निर्माण के लिए ऋण प्रदान करते हैं उन के अनुसूचित वकीलों में से किसी एक से ऐसा प्रमाण पत्र बनवाते हैं. किसी भी खरीददार को संदेह होने पर कि संपत्ति के स्वामित्व में कोई झगड़ा हो सकता है ऐसा प्रमाण पत्र बनवा लेना चाहिए। यह प्रमाण पत्र इस बात का सबूत होता है कि आप ने संपत्ति के संबंध में सब तरह की छानबीन कर ली थी और विक्रेता के स्वामित्व से संतुष्ट थे।
आप ने अवश्य ही सब तरह की छानबीन कर ली होगी। हो सकता है आप ने वकील से संपत्ति के भार मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। लेकिन नहीं किया तो भी कोई बात नहीं है। यदि आप को पहले से पता नहीं था कि संपत्ति के विक्रय का एग्रीमेंट पहले से किसी तीसरे पक्ष के साथ हो रहा है तो आप बिलकुल निश्चिंत रहें आप एक सदभाविक (bonafide purchager) हैं। आप को जो स्वामित्व उस जमीन पर प्राप्त हुआ है उस पर कोई आँच नहीं आ रही है। तीसरा पक्ष आप के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता है और यदि करता है तो वह गलत है, उस के लिए आप अदालत से कह सकते हैं और तीसरे पक्ष से हर्जाना दिलाए जाने का निवेदन कर सकते हैं।
तीसरा पक्ष अधिक से अधिक उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है जिस के साथ उस का कंट्रेक्ट हुआ था। यदि विक्रेता ने उस के साथ किए गए कंट्रेक्ट का उल्लंघन किया है तो वह उस कंट्रेक्ट को तोड़ने के लिए विक्रेता के विरुद्ध् मुकदमा कर उसे दी गई राशि वापस प्राप्त करने और हर्जाना प्राप्त करने के लिए दावा ला सकता है। आप के विरुद्ध नहीं।
आप को विशिष्ठ रूप से भी सलाह दी जा सकती है। लेकिन इस के लिए पूर्व में हुए एग्रीमेंट की प्रतिलिपि और आप के नाम पंजीकृत विक्रयपत्र की प्रतिलिपि और यदि आप के साथ पूर्व में विक्रेता ने कोई एग्रीमेंट किया हो तो उस की प्रतिलिपि अवलोकनार्थ मुझे प्रेषित करनी पडे़गी। जिस के लिए आप ई-मेल कर के मेरा पता प्राप्त कर सकते हैं।
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जानकारी का अभाव ही ऐसी स्थितियां बनाता है, और निरपराध लोग घबरा जाते हैं अन्यथा बात तो काच की तरह साफ है । तीसरे पक्ष को जो भी करना है, विक्रेता के विरूध्द ही करना है ।
आपने बिलकुल ही सही परामर्श दिया है ।
लगेग हाथों ‘रजनीशजी’ की बात को आगे बढा रहा हूं । केवल जमीन-जायदाद नहीं, पचडे की जड है – जर, जमीन और जोरू (नारी) ।
इन्हीं तमाम पचडों के कारण ही शायद जमीन जायदाद को पचडे की जड बताया गया है।
द्विवेदी जी नमस्कार, सबसे पहले तो नए साल की शुभकामनाएं,
आपकी दी गई जानकारी बहुत ही काम की होती हैं. धन्यवाद.
बहुत ही अच्छी सलाह दी आप ने , लेकिन अगर राजिस्ट्री दोनो या तीनो के नाम हो तो??? ऎसा ही केस मेने पिछली बार भारत मै देखा है.