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दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में संशोधन के विरोध में वकील हड़ताल पर

आज कोटा संभाग के सभी वकील हड़ताल पर रहेंगे।   कारण है,  दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 में हाल में हुआ संशोधन।  इसी कारण से 7 जनवरी को दिल्ली की जिला स्तर तक की अदालतों में पूरी तरह से ठप्प हो गया था।

इस संशोधन से ऐसे अपराधिक मामले जिन में सात वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।  पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को पुलिस के विवेक पर छोड़ दिया गया है।  अब पुलिस अधिकारी इस तरह के मामलों में अभियुक्त को गिरफ्तार करने के मामले में अपने विवेक का प्रयोग कर सकेंगे।

अब तक स्थिति यह थी कि पुलिस को यह अधिकार था कि दंड प्रक्रिया संहिता में जिन अपराधों को संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में रखा गया था उन मामलों में पुलिस बिना किसी वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकती थी।   लेकिन अब इस धारा के अंतर्गत पुलिस अधिकारियों पर गिरफ्तार करने की दशा में कुछ शर्तें लगा दी गई हैं।

अब पुलिस अधिकारी सात वर्ष तक की कैद की सजा के प्रावधान वाले मामलों में गिरफ्तार करने के पहले एक नोटिस गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को अपने समक्ष उपस्थित हो कर अन्वेषण में भाग लेने के लिए देगा।  यदि किसी भी व्यक्ति को ऐसा नोटिस भेजा जाता है तो इस नोटिस की पालना करना उस व्यक्ति का कर्तव्य होगा अन्यथा स्थिति में उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकेगा।

इस तरह सात वर्ष तक की कैद की सजा वाले अपराधों के मामलों में किसी मामले में गिरफ्तारी के पहले एक अधिकार पुलिस को और मिल गया है।  पहले जब पुलिस किसी को गिरफ्तार करती थी तो उस के पास गिरफ्तारी के लिए ठोस आधार का होना जरूरी था।  यह कानून तो यथावत है, लेकिन उस के पहले किसी व्यक्ति को थाने पर उपस्थित होने और अन्वेषण में सहयोग करने के लिए नोटिस जारी करने के मामले में किसी आधार की आवश्यकता ही नहीं रह गई है।  किसी भी व्यक्ति को नोटिस जारी किया जा सकता है।  वैसे भी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का भय दिखा कर धन वसूल करने की शिकायतों की कमी नहीं है।  लेकिन अब नोटिस देने का प्रावधान जुड़ जाने से इस तरह की घटनाओं में वृद्धि की आशंका से नकारा नहीं जा सकता है।  बहुमत वकीलों का मानना है कि इस से पुलिस का भ्रष्टाचार और बढ़ेगा और पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को नोटिस जारी कर उसे परेशान कर सकेंगे।

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