निषेध स्थल पर धुम्रपान की शिकायत किस से करें?
|एक महत्वपूर्ण विषय पर आपकी मदद चाहता हूँ| मैं दिल्ली के जवाहरलाल विश्वविद्यालय का छात्र हूँ| जैसा की आपको मालूम होगा की यह एक पूर्णत: आवासीय विश्वविद्यालय है| सरकार द्वारा सार्वजनिक धूम्रपान पर प्रतिबन्ध लगा दिए जाने के वावजूद भी हमारे कैम्पस में तम्बाकू- सिगरेट की दो दुकाने खुलेआम तम्बाकू- सिगरेट बेच रही हैं और लोग पूरे कैम्पस में धुंआ उडाते दिख जाते हैं चाहे वह बस स्टाप हो अथवा डिपार्टमेंट के अन्दर बनी कैंटीन| यह बताने का कष्ट करें की इस बारे शिकायत कहाँ की जा सकती है ?
सत्यार्थी जी,
भारत में धुम्रपान पर पाबंदी सिगरेट एवं अन्य “तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन आपूर्ति और वितरण पर प्रतिबंध) अधिनियम 2003” {Cigarettes and other tobacco Products (Prohibition of Advertisement and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and Distribution) Act, 2003} के अंतर्गत लगाई गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत जारी अधिसूचना में किसी भी सार्वजनिक स्थल (public place) पर धुम्रपान वर्जित कर दिया गया है।
इस अधिनियम में सार्वजनिक स्थल को परिभाषित किया गया है जिस में शैक्षणिक संस्थान सम्मिलित हैं और दिल्ली का जवाहरलाल विश्वविद्यालय भी एक शैक्षणिक संस्थान है। लेकिन इस परिभाषा में यह भी कहा गया है कि… लेकिन खुले स्थान उनमें शामिल न होंगे।
इस तरह से जितने भी सार्वजनिक स्थल हैं जहाँ जनता का आना जाना रहता है उन के खुले स्थानों को इस वर्जना से अलग कर दिया गया है। इस तरह से केवल ढके हुए स्थल ही वर्जना युक्त रह गए और खुले स्थलों पर वर्जना का कोई अर्थ नहीं रह गया। हाँ, कैन्टीन जो एक ढका हुआ स्थल है यह वर्जना लागू है।
यदि ढके हुए स्थलों पर जहाँ यह वर्जना लागू है वहाँ इस का उल्लंघन होता है तो आप उस स्थल के मालिक, स्वत्वाधिकारी, प्रबंधक, सुपरवाइजर या इंचार्ज (owner, proprietor, manager, supervisor or in charge) से तुरंत शिकायत कर सकते हैं।
इस अधिसूचना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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मेरा अनुमान सही निकल रहा है। अब यहां सब कुछ ‘बाकायदा’ होता नजर आ रहा है।
अच्छी जानकारी।
धुम्रपान विषयक कानून एक दन्तहीन कानून लगता है।
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी आपने, अक्सर ही इस स्थिति से दो चार होना पडता है। आभार।
द्विवेदी जी, शिकायत करने की क्या ज़रूरत है। कानून तो बनाएं जाते हैं तोड़ने के लिए। और अगर हमारी सरकार कोई “कानून” न बनाए तो फिर अपनी तथाकथित उप्लब्धियों में क्या गिनाएगी। और हमारे देश में सुना है 80 प्रतिशत लोग तो धूम्रपान करते हैं अगर इस कानून को सख़्ती से लागू कर भी दिया तो सारे नशैड़ी, बीड़ीबाज़, चरसिये, आदि-आदि तो अलग ही पार्टी को वोट दे डालेंगे। सरकार सब जानती है। इस लिए ये तो बस कनून बनाना था बना दिया।
जै माता दी
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आपका ब्लॉग अक्सर देखता हूँ, प्रभावित हूँ। आपकी तस्वीर भी अच्छी लगती है।
क्षमा करें ऊपर एक कमैंट मैने डिलीट इसलिए किया कि उसमें कुछ त्रुटियाँ रह गईं थी जिन्हें सुधार कर कमैंट फिर से पोस्ट कर रहा हूँ।
सादर!
आपने बड़ी सार्थक जानकारी दी है..
अन्यथा, कोई ऎतराज़ बकझक में न परिवर्तित हो जाये,
इसलिये ‘हम शरीफ़ लोग’ चुप मार जाया करते हैं ।
बहुतों को जानकारी नहीं होगी…..अच्छी जानकारी दी….साथ ही एपयोगी लिंक भी दे दिया…..धन्यवाद।
इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया!
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चाँद, बादल और शाम