क्या स्वनियोजन के अंतर्गत अपने स्वयं के जीवन-यापन के लिए कोई व्यवसाय करना आता है या एक फर्म का संचालन भी जिसमें कुछेक कर्मचारी काम करते हैं….मैंने ठेकेदारी फर्म बनाई और उसके लिए डंपर खरीदे…जिसके द्वारा और लोगों को भी नियोजन मिलता है…डंपर में कोई खराबी आने पर क्या मेरी हैसियत एक उपभोक्ता की नहीं होगी ?
उत्तर …
कल की तीसरा खंबा की पोस्ट वस्तु का व्यावसायिक उपयोग क्यों उपभोक्ता की परिधि के बाहर है? पर बहुत कुछ स्प्ष्ट कर दिया गया है। आप ने यह तर्क दिया है कि आप ने ठेकेदारी फर्म बनाई और कुछ डंपर खरीदे हैं जिन पर कुछ लोगों को नियोजन दिया गया है। यहाँ जिन लोगों को नियोजन दिया गया है वे उपभोक्ता नहीं हैं। आप ठेकेदारी फर्म के माध्यम से एक भरापूरा व्यवसाय कर रहे हैं न कि स्वनियोजन का कोई काम कर रहे हैं। हाँ आप की आय का कोई साधन नहीं है और आप एक डंपर खरीदकर अपना काम कर रहे हैं और उस पर एक ही कर्मचारी आप ने रखा है तो आप यह कह सकते थे कि आप ने स्वनियोजन के उद्देश्य से डंपर खरीदा था। लेकिन जब आप एक भरा पूरा व्यवसाय कर रहे हैं तो आप यह कथन नहीं कर सकते कि आप स्वनियोजन के उद्देश्य से डंपर खरीदा था। ऐसे मामले में आप कंट्रेक्ट एक्ट के अंतर्गत दीवानी वाद दायर कर सकते हैं। लेकिन जब एक भरापूरा व्यवसाय. आप कर रहे हैं तो आप को साधारण उपभोक्ता की भांति उपभोक्ता समस्या निवारण फोरम के समक्ष अपनी शिकायत ले जाने का अधिकार नहीं है।
भुवनेश शर्मा का अगला प्रश्न था 3
कि कई दवाओं पर Schedule drug लिखा होता है बिना डाक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के दवा खरीदने पर क्या ग्राहक बराबर का दोषी नहीं है?
उत्तर …
नहीं, खरीददार इस के लिए बिलकुल दोषी नहीं है। यह निर्देश कि सूचीबद्ध औषध केवल चिकित्सक द्वारा निर्देशित किए जाने पर ही दी जाए, औषध विक्रेताओं के लिए है, न कि खरीददारों के लिए। यह औषध विक्रेता का दायित्व है कि वह किसी सूचीबद्ध औषध को बिना चिकित्सक के निर्देशन के बिना विक्रय न करे। लेकिन वह ऐसा करता है तो वह न केवल उपभोक्ता के हितों की अनदेखी करता है अपितु एक अपराध भी करता है जिस की शिकायत होने पर उसे अपराधिक अभियोजन का भी सामना करना पड़ सकता है और सजा भी हो सकती है।
दोनों ही प्रकरणों में अब स्थिति काच की तरह स्पष्ट हो गई
धन्यवाद।
इस नियम मे कानून के हिसाब से कुछ कमिया रह गयी जैसे कि उस मामले कि कीमत नही तय की गयी जिसे उपभोक्ता अदालत मे चलाया जाये दूसरा यह कि जिस वस्तु का व्यापर किया जाता है उस को खरीदते हुये वह व्यापारी उपभोक्ता नही हो सकता ह लेकिन उसको बेचने मे सहायक सामग्री को तो उपभोक्ता सामग्री मे ही मानना चाहिये था ।खैर यह तो सरकार के सामने लम्बी बहस के मुद्दे है । फ़िर भी दूसरी अदालत तो है ही वहा से भी न्याय तो मिल ही जाता है । और अब तो उपभोक्ता अदालतो मे भी काम का ढेर लगने लग गया है। इस लिये शीघ्र न्याय कि उम्मीद वहा से भी नही लगाना चाहिये । आपके द्वारा दी गयी जानकारी अन्धेरो मे दीपक के समान है । पुन:धन्यवाद
दिनेश जी आप ने बिलकुल सही लिखा कि बिना डाक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के दवा खरीदने पर ग्राहक नही बल्कि दवा विक्रेता दोषी है, ओर उसे सजा भी हो सकती है.
धन्यवाद आप की यह जानकारी बहुत से लोगो के काम आये गी
अगर आप बिना डाक्टरी सलाह के दवा का सेवन कर झमेले में आते हैं तो क्या उस दवा विक्रेता को लपेट सकते हैं जिसने आप को दवा बेची?
आपके इस आलेख से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई…अब कोई संशय नहीं है
बहुत बहुत शुक्रिया
पी.एन.सुब्रमनियमजी ने भी ठीक बात कही है
कई राज्यों में दवाईयां बगैर डाक्टर की पर्ची के नहीं मिलती लेकिन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या बिहार में तो आप जहर भी आसानी से खरीद सकते हैं. यहाँ के विक्रेताओं का कोई धरम ही नहीं है.अछि जानकारी. आभार..