Category: न्यायिक सुधार
Judicial Reform
न्याय की दुर्दशा देखें नवभारत टाइम्स के इस संपादकीय में ……. 29 Nov 2007, 1914 hrs IST कागजी घोड़े देश में अदालती कार्यवाहियों पर कागजी घोड़े हावी हैं,
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Contract
शंकर राजस्थान के बाराँ जिले के शाहबाद उपखंड का आदिवासी है। जंगलों की उपज पर सरकार का कब्जा हो जाने के बाद से शहरों में मजदूरी के लिए
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Judicial Reform
एक समय था जब वकीलों के पेशे को देश भर में सम्मान प्राप्त था। पर सम्मान का वह युग कोई बीस वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुका है।
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Judicial Reform
पिछली पोस्ट से यह तो जानकारी हो ही गई कि बहुत से लोग जरूरत होते हुए भी मुकदमे नहीं करते हैं। यह जानकारी वकीलों के लिए उपयोगी
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Judicial Reform
न्याय-वध (4) पर मायर्ड मिराज के घुघूती बासूती की छोटी सी टिप्पणी मिली : ‘कुछ लोग इसीलिए मुकदमे नहीं करते‘ यह हमारी न्याय व्यवस्था की चरम परिणति है।
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Industrial Dispute Act
गोपाल देश के तीसरे नंबर के बडे औद्योगिक घराने के नायलोन बनाने वाले कारखाने में सीनियर सुपरवाइजर था। मिल पहले से कम लाभ देने लगी तो मालिक उस
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Judicial Reform
न्याय का वध करने में हमारी सरकार की भूमिका को आप ने देखा। देश में न्यायालयों की न्यून संख्या पर हमारे सुप्रीम कोर्ट के लगभग सभी न्यायाधीशों ने
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Judicial Reform
हम रोज ही अदालतों में न्याय का वध होते देखते हैं। यह वध अधिकतर हमारी न्याय प्रणाली का आम दृश्य हो चुका है। इस का प्रमुख कारण हमारी
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Judicial Reform
न्यायपालिका पर बहस कार्यपालिका और विधायिका पर बहस एक आम बात है किन्तु हमारी मौजूदा संसदीय लोकतांत्रिक पद्धति के तीसरे खंबे न्याय पालिका पर बहस नगण्य है। जितनी
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