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Category: न्यायिक सुधार

विधि शिक्षा के नियंत्रण को ले कर बार कौंसिल और केन्द्र सरकार के बीच टकराव संभव

देशी विदेशी पूंजीपतियों को देश की जनतांत्रिक संस्थाओं की गतिविधियाँ अब रास नहीं आ रही है, जिस के कारण उन के हितों के लिए काम करने वाली केंद्र
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क्यों उठते हैं न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न, बार-बार

पिछले दिनों मेरे ही एक संबंधी के पुत्र को 498-ए में गिरफ्तार किया गया। हम करीब साल भर पहले से यह जानते थे कि ऐसी स्थिति आ सकती
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अगले दस वर्षों में एक लाख जज नियुक्त करने होंगे

सरकारी आँकड़ों के अनुसार भारत में 4,30,000 लोग जेलों में बंद हैं, जिन में से तीन लाख बंदी केवल इसलिए बंद हैं कि उन के मुकदमे का निर्णय
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आलोचना नहीं, तो हम न्यायपालिका जितनी निष्पक्ष रह गई है, उसे भी खो देंगे

वर्षान्त आ गया है। मैं जब इस लेख को लिखने बैठा हूँ, उस के ठीक दो घंटे बाद साल 2010 का आखिरी दिन आरंभ हो चुका होगा, फिर चौबीस
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राजद्रोह का अपराध क्या है?

राजद्रोह के अपराध में चिकित्सक और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ.बिनायक सेन को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई, देश भर में बड़े पैमाने पर इस निर्णय की आलोचना
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विधि मंत्री सपने दिखाने का थिएटर चला रहे हैं?

अब केन्द्रीय विधि मंत्री कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार एक ऐसे कानून को बनाने पर विचार कर रही है जिस से न्याय प्राप्त करना नागरिकों का मौलिक
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न्यायपालिका की आलोचना के लिए माफी मांगने के बजाय जेल जाना पसंद करेंगे

पिछले दो दिनों से सुरेश चिपलूनकर ने सुप्रीमकोर्ट के जजों के संदिग्ध आचरण के बारे में अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया है। यह सब बहुत पहले से तहलका
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वैवाहिक विवादों का निपटारा शीघ्रता से और समझौतों के माध्यम से किया जाना चाहिए

यह भारत का दुर्भाग्य है कि सरकार जनता को न्याय प्रदान करने के काम को अपने काम का हिस्सा नहीं मानती। वह समझती है कि यह जिम्मा देश
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