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Category: व्यवस्था

कानून न मानने वाले देश में कानून ही कानून, और हर सत्र में नए कानून

चैक अनादरण को अपराध बनाए जाने के मामले में लिखे गए विगत चार आलेखों पर अनेक प्रतिक्रियाएं आई। इन में अनेक प्रश्न और जिज्ञासाएँ भी पाठकों ने सामने
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भारत की अदालतों में तीन करोड़ दो लाख से अधिक मुकदमे लंबित

तीसरा खंबा को पूरे साल पाठकों का खूब समर्थन हासिल हुआ। इस के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद!आगे भी तीसरा खंबा को ऐसा ही समर्थन पाठकों
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हिन्दी सर्वोच्च न्यायालय की भाषा क्यों नहीं?

आज कतिपय अंग्रेजी समाचार पत्रों में समाचार पढ़ने को मिला कि विधि आयोग ने संसदीय समिति की उस सिफारिश को लागू करना असंभव करार दिया है जिस में
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नवभारत टाइम्स पर कानूनी-ब्लॉग-त्रयी, अदालत, जूनियर कौंसिल और तीसरा खंबा की समीक्षा

अदालत, जूनियर कौंसिल और तीसरा खंबा ये तीन कानून संबंधी विषयों के ब्लॉग हैं। ये तीनों एक दूसरे से इस तरह जुड़े हैं कि किसी भी ब्लॉग पर
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न जज, न अदालत और न ही वकील अंधे हैं

 कल के आलेख एक ने आजीवन कारावास की सजा दी, दूसरे ने बरी कर दिया पर सर्व श्री विवेक सिंह,  ताऊ रामपुरिया, पिन्टू,  डा. अमर कुमार, लावण्या दीदी
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एक ने आजीवन कारावास की सजा दी, दूसरे ने बरी कर दिया

आप को यह जान कर हैरत होगी कि एक व्यक्ति को अदालत ने दहेज उत्पीड़न और पत्नी की हत्या के जुर्म में सजा दी, उस के मामले को
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मजबूत और शत्रु की तरह लगने वाले वकील ही मह्त्वाकांक्षी जजों के सबसे अच्छे मित्र हैं

“एक कुशल न्यायिक व्यवस्था के लिए यह जरूरी है कि बार (वकीलों की जमात) भी मजबूत और कुशल हो। एक ऐसी बार जो कि दिखने में न केवल
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अदालतों में सन्नाटा व्याप्त है, सकून है ,शांति है।

कल सोमवार था और वकीलों के न्यायिक कामकाज के बहिष्कार का समाचार अखबार में छप चुका था। इस लिए जब अदालत में रोज ही आने वाले लोगों की
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न्यायिक प्रक्रिया के गतिरोध समाप्ति के उपायों की जरूरत

आज वैसे भी मेरी डायरी में अदालत का काम कम था। फिर सुबह ही अखबार से यह खबर मिली कि आज वकील काम बंद रखेंगे। मैं ने उसी
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जनता के धन के अपव्यय के सवाल पर कोई ध्यान देता है?

कल जिला उपभोक्ता मंच में एक मुकदमे में अंतिम बहस थी। लगभग डेढ़ वर्ष से मंच में सदस्यों की नियु्क्ति न होने से काम नहीं हो रहा था।
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