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Category: Judicial Reform

विवाह की प्रकृति का संबंध क्या है? लिव-इन-रिलेशन से वह कैसे भिन्न है?

अखबारों में उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय की बहुत चर्चा है जिस में लिव-इन-रिलेशन में गुजारा भत्ता दिए जाने के मानदंड तय करने का उल्लेख है। यह एक
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भ्रष्टाचार अनमाप अनियंत्रित

सुप्रीम कोर्ट ने कल  पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा आयकर निरीक्षक मोहनलाल शर्मा को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए प्रस्तुत की गई सीबीआई की याचिका को
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अदालतों की भाषा वही होनी चाहिए जो उस के अधिकांश न्यायार्थियों की भाषा है

आज भी यह एक प्रश्न हमारे माथे पर चिपका हुआ है कि अदालतों का काम किस भाषा में होना चाहिए? सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों का काम अंग्रेजी
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पर्याप्त संख्या में अदालतें स्थापित करने को धन की आवश्यकता है, इस बात को सरकार औऱ संसद के सामने रखने से कानून मंत्रालय को कौन रोक रहा है।

अदालतों की कमी अब सर चढ़ कर बोलने लगी है और कानून मंत्रालय सीधे-सीधे नहीं तो गर्दन के पीछे से हाथ निकाल कर कान पकड़ने की कोशिश कर
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जब जनता प्रश्न पूछने लगेगी तब सरकारें क्या करेंगी?

अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनाज को सड़ने के लिए छोड़ देने के स्थान पर उसे गरीबों को मुफ्त वितरित कर देने के आदेश से उत्पन्न विवाद की गूंज
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देश के सभी कानून अंग्रेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं में इंटरनेट पर उपलब्ध क्यों नहीं?

यदि कोई व्यक्ति सहज भाव से कोई ऐसा काम कर दे जो कि कानून की निगाह में जुर्म हो, और दुर्भाग्य से वह पकड़ा जाए। फिर उस के
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कानून की पालना में प्रधानमंत्री कार्यालय कोताही क्यों करे?

देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही कानून का राज स्थापित हो गया। एक ऐसा राज जिस में कानून सब से ऊपर है।
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जनता को न्याय प्रदान करने में किसी राजनैतिक दल की कोई रुचि नहीं

भारत को आजादी मिले 63 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन न्याय की स्थिति बेहतर से बदतर ही हुई है। लगता है सरकारों को न्याय व्यवस्था से कोई सरोकार
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