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Category: Legal History

वारेन हेस्टिंग्स की न्यायिक योजनाएँ : भारत में विधि का इतिहास-28

अप्रेल 1772 में वारेन हेस्टिंग ने बंगाल के  गवर्नर के रुप में फोर्ट विलियम में अपना काम  संभाला और  अपनी न्यायिक  योजना  की घोषणा की। उस ने तीनों
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लार्ड क्लाइव के कारनामे और वारेन हेस्टिंग के पूर्व की परिस्थितियाँ : भारत में विधि का इतिहास-27

हम 1771 के बंगाल के अकाल की परिस्थितियों के प्रकाश में आज के हालात पर विचार कर सकते हैं, जब कि वर्षा के अभाव से देश में कृषि
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भारतियों के लिए न्याय प्रशासन और 1953 की न्याय व्यवस्था की समीक्षा : भारत में विधि का इतिहास-26

भारतियों के लिए न्याय प्रशासन1753 के चार्टर में भारतीय व्यक्तियों के लिए मेयर न्यायालय की अधिकारिता से छूट मिल जाने और रीति रिवाजों के अनुसार निर्णायकों द्वारा न्याय
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मद्रास फ्रांसिसियों के कब्जे में और न्यायालय की स्वायत्तता का अंत भारत में विधि का इतिहास-25

मद्रास पर फ्रांसिसियों का कब्जा14 सितंबर 1746 को मद्रास पर फ्रांसिसियों ने कब्जा कर लिया जो तीन वर्षों तक बना रहा। वहाँ न्यायिक व्यवस्था निलंबित हो गई। 1749
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मेयर न्यायालय और सपरिषद गवर्नर के बीच आपसी विवाद और टकराव : भारत में विधि का इतिहास-24

तीनों प्रेसिडेंसियों में मेयर न्यायालय की अपील का अधिकार सपरिषद गवर्नर को दिए जाने से न्यायिक व्यवस्था पर कार्यपालिका का नियंत्रण स्थापित हो गया था और दोनों के
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1926 की न्याय व्यवस्था से हुए परिवर्तन : भारत में विधि का इतिहास-23

पूर्व में स्थापित न्याय व्यवस्था को 1926 के चार्टर ने बहुत बदला। हम इस बदलाव को इस तरह समझ सकते हैं…. पहले के न्यायालय कंपनी द्वारा गठित थे,
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नगर निगम और न्यायालयों का स्वरूप : भारत में विधि का इतिहास-22

नगर निगमों का स्वरूप 1726 के चार्टर से तीनों प्रेसिडेंसी नगरों में नगर निगम स्थापित किए गए। मद्रास में नगर निगम पहले से था लेकिन अब नए चार्टर
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प्रेसीडेंसियों में नगर निगम और क्राउन के मेयर न्यायालय : भारत में विधि का इतिहास-21

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार के लिए प्रवेश किया था। वह चाहती थी कि उस के अंदरूनी मामलों में न्याय का अधिकार उसी के पास रहे।
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कोलकाता में अंग्रेजी बस्ती : भारत में विधि का इतिहास-20

मुगल शासन से 1634 में प्राप्त व्यापार की अनुमति के आधार पर ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल में व्यापार कर सकती थी। लेकिन करीब सोलह वर्ष बाद 1650 में
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1684-1718 मुंबई न्याय व्यवस्था में बाधाएँ : भारत में विधि का इतिहास-19

नौकाधिकरण की स्थापना कीविन विद्रोह के कारण आंगियार द्वारा मुंबई स्थापित न्याय व्यवस्था पूरी तरह तहस-नहस हो गई थी। 16 नवम्बर 1684 को विद्रोहियों ने मुंबई को फिर
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