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Category: System

अदालतों की भाषा वही होनी चाहिए जो उस के अधिकांश न्यायार्थियों की भाषा है

आज भी यह एक प्रश्न हमारे माथे पर चिपका हुआ है कि अदालतों का काम किस भाषा में होना चाहिए? सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों का काम अंग्रेजी
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पर्याप्त संख्या में अदालतें स्थापित करने को धन की आवश्यकता है, इस बात को सरकार औऱ संसद के सामने रखने से कानून मंत्रालय को कौन रोक रहा है।

अदालतों की कमी अब सर चढ़ कर बोलने लगी है और कानून मंत्रालय सीधे-सीधे नहीं तो गर्दन के पीछे से हाथ निकाल कर कान पकड़ने की कोशिश कर
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जब जनता प्रश्न पूछने लगेगी तब सरकारें क्या करेंगी?

अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनाज को सड़ने के लिए छोड़ देने के स्थान पर उसे गरीबों को मुफ्त वितरित कर देने के आदेश से उत्पन्न विवाद की गूंज
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देश के सभी कानून अंग्रेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं में इंटरनेट पर उपलब्ध क्यों नहीं?

यदि कोई व्यक्ति सहज भाव से कोई ऐसा काम कर दे जो कि कानून की निगाह में जुर्म हो, और दुर्भाग्य से वह पकड़ा जाए। फिर उस के
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कानून की पालना में प्रधानमंत्री कार्यालय कोताही क्यों करे?

देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही कानून का राज स्थापित हो गया। एक ऐसा राज जिस में कानून सब से ऊपर है।
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क्या सर्वोच्च न्यायालय ने क्षेत्राधिकार के बाहर जा कर सरकार के काम में हस्तक्षेप किया है?

लाखों टन गेहूँ पर्याप्त और सुरक्षित भंडारण व्यवस्था के अभाव में बरसात का शिकार हो कर नष्ट हो गया और अब प्रदूषण और फैला रहा है। सर्वोच्च न्यायालय
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अब लगा कि उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है

कल लगा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय वास्तव में सर्वोच्च है। कानून के राज में कानून सब से बड़ा होना चाहिए। लेकिन जो कानून संसद और विधानसभाओं में
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लालच के शिकारों को बचाने के लिए कानून मे बदलाव निहायत जरूरी

अब जा कर यह स्थिति बनने लगी है कि निर्माण कंपनियाँ कानून के प्रति जो असावधानियाँ बरतती है उस के खिलाफ कार्यवाही होने लगी है। हालाँ कि इस
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जनता को न्याय प्रदान करने में किसी राजनैतिक दल की कोई रुचि नहीं

भारत को आजादी मिले 63 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन न्याय की स्थिति बेहतर से बदतर ही हुई है। लगता है सरकारों को न्याय व्यवस्था से कोई सरोकार
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अमरीका की तुलना में भारत में न्याय की संभावना मात्र 10 प्रतिशत

विगत आलेख क्या हम न्यायपूर्ण समाज की स्थापना से पलायन का मार्ग नहीं तलाश रहे हैं ? पर तीन महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएँ आईँ।संगीता पुरी जी ने कहा कि ‘सजा
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