Tag: अदालत
Crime
पिछली पोस्ट से आगे ….. मैं ने कल उल्लेख किया था कि, अभी हाल ही में कुछ न्यायालयों ने जिस तरह के निर्णय इन मामलों में देना आरंभ
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Crime
1988 में जब परक्राम्य विलेख अधिनियम, 1881 में अध्याय 17 (धारा 138 से 147 तक) को जोड़ा गया था तब यह सोचा भी नहीं गया था कि यह
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System
हमारी अदालतों की हालत का इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि दिल्ली हाईकोर्ट में वर्तमान में इतने मुकदमें लंबित हैं कि जितने जज इस समय
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कानूनी उपाय
श्री गजानन्द अग्रवाल ने पूछा है ____________ मैं ने तीन वर्ष पूर्व जीवन बीमा निगम से एक बीमा पॉलिसी ली थी। लेकिन आज तक भी मुझे मूल पॉलिसी
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कानूनी उपाय
श्री बी. एस. मिश्रा पूछते हैं ……. कार का पूरा बीमा कराने के बाद दुर्घटना पर बीमा कंपनी का कहना है कि उन के द्वारा प्लास्टिक के सामान
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कानूनी उपाय
भुवनेश शर्मा ने तीसरा खंबा की पोस्ट व्यावसायिक उपयोग के लिए वस्तु खरीदने पर भी आप कब उपभोक्ता हैं? पर सवाल किया था कि- क्या स्वनियोजन के अंतर्गत
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कानूनी उपाय
पिछले चार में से तीन आलेख उपभोक्ता मामलों से सम्बद्ध थे। इन पर आई टिप्पणियों पर जिज्ञासाएँ भी थीं। नरेश जी राठौर ने कहा कि मैं जिज्ञासाओं
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कानूनी उपाय
भुवनेश शर्मा ने मुझ से चार प्रश्न पूछे थे। दो का उत्तर मैं पहले दे चुका हूँ। शेष बचे दो प्रश्नों का उत्तर यहाँ दे रहा हूँ। पिछले
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Consumer
भुवनेश शर्मा का प्रश्न है….. यदि सीधे किसी मेडीकल स्टोर से दवा खरीदी जाती है और बिल बनवाया जाता है तो उसके बाद दवा नकली पाये जाने या
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System
“इतने क्यों नाराज हैं वकील” यह उस आलेख का शीर्षक है जो 17 मार्च को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ है, जिसे लिखा है सुधांशु रंजन ने। इस
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