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Tag: अदालत

व्यावसायिक उपयोग के लिए वस्तु खरीदने पर भी आप कब उपभोक्ता हैं?

भुवनेश शर्मा पूछते हैं______________ मेरे एक मित्र जिनका यूरेका फोर्ब्‍स के वाटर फिल्‍टर डीलरशिप का बिजनेस है…उन्‍होंने अपने लिए एक इनवर्टर खरीदा और बिल फर्म के नाम बनवाया…..इनवर्टर
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भीरुता त्यागें, साहस करें, और पति के अत्याचारों के विरुद्ध अपने हकों की लड़ाई खुद लड़ें

  अनिता जी पूछती हैं____________ मेरी शादी को पूरे दो साल हो गये हैं। मेरा विवाह मेरे मायके के नगर में एक होटल में 200-250 बारातियों की मौजूदगी
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हताश और क्रोधित वकील समुदाय और श्री कृष्णा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट

मद्रास उच्चन्यायालय में पुलिस द्वारा किए गए संहार और वकीलों की जारी काम बंदी के बीच जस्टिस श्री कृष्णा आयोग की अंतरिम रपट आ गई।  जब से उसे
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दहेज मृत्यु के मामले में अभियुक्त बरी होने पर जब्त जेवर पिता को मिलेंगे या पति को ?

गोविंद कुमार शर्मा पूछ रहे हैं…. दहेज हत्या के आरोप से सास, ससुर सहित सभी अभियुक्त दोष मुक्त हो गए हैं।  दहेज का सामान किसे प्राप्त होगा? मृतका
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अदालत का सुझाव : नशे में दुर्घटना कर मृत्यु कारित करने को अजमानतीय और दस वर्ष तक की कैद की सजा से दंडनीय बनाने के लिए कानून बनाया जाए

सड़क दुर्घटना में कु. बबिता चौधरी की मृत्यु का प्रकरण  आखिर अदालत में रंग लाया।  14 दिसम्बर 2008 को कोटा के एक कॉलेज की कुछ छात्राएं शिक्षण टूर
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डी अजित के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का कोई निर्णय नहीं है

कल तीसरा खंबा पर आलेख नहीं था, केवल जनादेश में प्रकाशित आलेख ब्लागर और वेब पत्रकार भी कानूनी दायरे में  की सूचना मात्र थी।  इस आलेख पर सात
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नियुक्तियों के अभाव में रिक्त पड़ी अदालतें और भटकते न्यायार्थी

तीसरा खंबा लगातार यह बताता रहा है कि न्यायालयों की कमी के कारण किस तरह आम न्यायार्थी को बरसों तक न्याय नहीं मिल पा रहा है।  विगत दिनों
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अपराधों के अन्वेषण, अभियोजन और अदालतों की पर्याप्तता और स्वतंत्रता-स्वायत्तता के बारे में सोचा जाना जरूरी है

एस. एन. विनोद जो नागपुर के प्रधान संपादक दैनिक ‘राष्ट्रप्रकाश’ एवं समूह संपादक- मराठी ‘दैनिक देशोन्नती’  ने अपने ब्लाग चीरफाड़ पर अपने आलेख फिर फैसला हुआ, न्याय नहीं
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निश्चित अवधि के लिए मकान किराए पर दें, अवधि पूर्णता पर अदालत तुरंत खाली करवा देगी

घुघूती बासूती जी ने पूछा ……. आज के समय में दिल्ली में अपना फ्लैट किराए पर देना कितना सुरक्षित रहेगा? और यह करते समय किन किन बातों का
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न्याय रोटी से पहले की जरूरत है, न्याय प्रणाली की पर्याप्तता के लिए आवाज उठाएँ

26 जनवरी, 1950 को भारत ने गणतंत्र का स्वरूप धारण किया।  गणतंत्र का अर्थ है देश का शासक अब चुनी हुई सरकार करेगी।  उस दिन जिस संविधान को
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