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Tag: कानून

समझें, भारतीय कॉपीराइट कानून में 'कॉपीराइट' क्या है?

पिछले अंक में हमने कॉपीराइट का उल्लेख करते हुए देखा था कि कॉपीराइट का उल्लंघन करना बहुत हानिकारक हो सकता है, यहाँ तक कि भारी जुर्माना और सजा
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काँपीराइट को समझें, इस का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की सजा, साथ में ढ़ाई लाख तक जुर्माना हो सकता है

इन दिनों हिन्दी ब्लॉगिंग में कॉपीराइट का चर्चा रहा। एक-दो चिट्ठाकार साथियों से बातचीत से ऐसा अनुभव हुआ कि अधिकांश चिट्ठाकारों को कॉपीराइट कानून के सम्बन्ध में प्रारंभिक
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अदालतें बाढ़ग्रस्त हैं। ‘कितने मरे? कितने चिकित्सालय में भरती हैं?’

मैं ने कहा था कि संसद और विधानसभाऐं कानून बनाती रहती हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए उन में सजा के लिये
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चैक बाउंस के अपराधिक कानून के पारिणामिक पहलू

…….(कल से आगे) 1. चैक बाउंस के मामले के कानून के पारिणामिक पहलू पाँच साल पहले ही दिखाई पड़ने लगे थे। पर जब वित्तीय संस्थाओं ने इसे अपने
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चैक बाउंस का अपराधिक कानून और अदालतें

सोमवार का दिन केवल दलाल स्ट्रीट के कारण ही कॉरपोरेट जगत के लिए बुरानहीं गुजरा, उसे चैक बाउंस के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार भीसुननी पडी।
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”अंधेर नगरी-चौपट राजा” और सर्वत्र फैली हुई अराजकता।

संसद और विधानसभाएं कानून बनाती हैं। ये कानून किताबों में दर्ज हो जाते हैं। बहुत सारे पुराने कानून हैं और हर साल बहुत से कानून बनते हैं। नयी
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तीसरा खंबा का सहयोगी अँग्रेजी ब्लॉग "JUDICATURE INDIA" आज से प्रारंभ

तीसरा खंबा ने विगत दो माह में जो काम किया है वह महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से कि उस ने यह खोजने का प्रयास किया कि हमारी न्याय
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राजनीति न्याय प्रणाली की उपेक्षा न करे

आजादी के साठ साल बाद हमारे देश की न्याय प्रणाली आज किस मुकाम पर खड़ी है इस की राजनैतिक समीक्षा होना जरुरी है। हमारी संसद और विधान सभा
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कानून नहीं है, शंकर और उस के आदिवासी साथी क्या करें?

शंकर राजस्थान के बाराँ जिले के शाहबाद उपखंड का आदिवासी है। जंगलों की उपज पर सरकार का कब्जा हो जाने के बाद से शहरों में मजदूरी के लिए
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न्याय का उद्देश्य : विद्रोह को रोकना

न्याय-वध (4) पर मायर्ड मिराज के घुघूती बासूती की छोटी सी टिप्पणी मिली : ‘कुछ लोग इसीलिए मुकदमे नहीं करते‘ यह हमारी न्याय व्यवस्था की चरम परिणति है।
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