Tag: न्याय
Constitution
कल लगा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय वास्तव में सर्वोच्च है। कानून के राज में कानून सब से बड़ा होना चाहिए। लेकिन जो कानून संसद और विधानसभाओं में
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Judicial Reform
विगत आलेख क्या हम न्यायपूर्ण समाज की स्थापना से पलायन का मार्ग नहीं तलाश रहे हैं ? पर तीन महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएँ आईँ।संगीता पुरी जी ने कहा कि ‘सजा
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Judicial Reform
हम भारत में जरूरत की केवल 20 प्रतिशत अदालतों से देश में न्यायालयों की कमी ने अनेक समस्याएँ खड़ी की हैं और लगातार हो रही हैं। अदालतों की
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Constitution
सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश सरोश होमी कपाड़िया 12 मई को देश के 38वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ले चुके हैं। वे 28.09.2012 तक इस
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System
28 अक्टूबर 2007 को जब तीसरा खंबा का पहला आलेख लिखा गया था तब सोचा भी न था कि ये तकरीबन ढाई वर्ष का समय यूँ ही निकल
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Judicial Reform
दैनिक भास्कर के स्थाई रविवासरीय परिशिष्ठ रसरंग में कवर स्टोरी के रूप में विजयशंकर चतुर्वेदी ने भारतीय न्याय व्यवस्था की एक विस्तृत समीक्षा की थी। यह आलेख अब
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Judicial Reform
आज कल किसी भी विचारण न्यायालय में यह दृश्य देखने को मिल सकता है। एक ओर अदालत का रीडर किसी मुकदमे में वकीलों से आवेदन या उन के
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Industrial Dispute Act
बालकिशन पूछते हैं– मैं एक कंपनी में 6 साल से कार्यकर रहा हूँ, मेरा केवल ठेकदार बदला जाता है और कार्मिकों को नहीं बदला जाता है। जब संविदा
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Judicial Reform
देश भर की अदालतों में मुकदमे बहुत इकट्ठे हो गए हैं। निर्णय बहुत-बहुत देरी से आ रहे हैं, पूरी की पूरी पीढ़ी मुकदमों में खप रही है। जजों
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Legal History
धरती के भीतर उबल रहा लावा लगातार ऊपरी सख्त परत को धक्के मारता रहता है। जब भी उसे कमजोर जगह मिलती है तो उसे तोड़ कर वह ज्वालामुखी
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