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Tag: Contract

नियोजन अनुबंध को चुनौती दी जा सकती है?

तीसरा खंबा के विगत आलेख कंट्रेक्ट को निरस्त करने की न्यायालय की शक्ति पर भाई नीरज जी रोहिल्ला ने अपनी टिप्पणी में एक गंभीर प्रश्न किया था….. “इंजीनियरिंग
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कंट्रेक्ट को निरस्त करने की न्यायालय की शक्ति

पिछले आलेख में मैं ने कानून के साथ दिए तीन उदाहरण आप को बताए थे। स्वतंत्र सहमति के बिना अनुबंधों की शून्यकरणीयता के विषय पर दो और उदाहरण
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स्वतंत्र सहमति के बिना किए गए, कौन से कंट्रेक्ट शून्य हो सकते हैं?

स्वतंत्र सहमति के बिना अनुबंधों की शून्यकरणीयता जब किसी भी अनुबंध के लिए सहमति जबर्दस्ती, कपट या मिथ्या-निरूपण के माध्यम से प्राप्त की गई हो, तो ऐसा अनुबंध
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कंट्रेक्ट में 'मिथ्या-निरूपण' (misrepresentation)

‘मिथ्या-निरूपण‘ (misrepresentation) कंट्रेक्ट का मूल कानून अंग्रेजी में है और वहाँ शब्द है ‘मिसरिप्रेजेन्टेशन’। इस शब्द का कोई हिन्दी, उर्दू या हिन्दुस्तानी पर्याय उपलब्ध नहीं है, इस कारण
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विवाह, नौकरी और धंधे में कपट

बीमा कंपनी के तो ऐसे हजारों मुकदमे अदालत में हुए हैं जिन में कंपनी ने कपट के आधार पर बीमा पॉलिसी को शून्यकरणीय घोषित कराया। लोग उपभोक्ता अदालत
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कपट, कैसे कैसे… बीमा कराने के पहले सावधानी बरतें

हमने पिछले आलेख में कंट्रेक्ट किए जाने के दौरान होने वाले ‘कपट’ (fraud) की परिभाषा को जाना। इस आलेख पर ज्ञानदत्त जी पाण्डे ने कहा कि- “करण घोड़े
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कंट्रेक्ट के संबंध में 'कपट' क्या है ?

अपनी उपस्थिति से स्वतंत्र सहमति को दूषित करने वाले तीसरे कारक ‘कपट’ अर्थात् (fraud) को भारतीय कंट्रेक्ट कानून में परिभाषित किया गया है। उस की परिभाषा इस तरह
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अनुचित प्रभाव का उपयोग कैसे ? और कब ?

किसी भी कंट्रेक्ट में अनुचित प्रभाव की जाँच करते समय न्यायालय इस के तीन महत्वपूर्ण तत्वों की जाँच अवश्य करें। भारत के उच्चतम न्यायालय ने 1963 में एक
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संबंधों के कारण अनुचित प्रभाव का उपयोग कर किए गए कंट्रेक्ट

‘अनुचित प्रभाव’ वह दूसरा कारक है जिस की उपस्थिति में सहमति स्वतंत्र नहीं रह जाती है और एक कंट्रेक्ट शून्यकरणीय हो जाता है। इसे कानून में इस तरह
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जबरदस्ती प्राप्त सहमति से कंट्रेक्ट होगा गैर कानूनी

पिछली बार सहमति (Consent) से हमारा परिचय हो चुका था, कि जब भी दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी बात पर एक जैसे अर्थों में सहमत हो
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