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Tag: legal System

दिल्ली हाई कोर्ट को मौजूदा मुकदमों के निपटारे में लगेंगे 466 साल

हमारी अदालतों की हालत का इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि दिल्ली हाईकोर्ट में वर्तमान में इतने मुकदमें लंबित हैं कि जितने जज इस समय
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इतने क्यों नाराज हैं वकील ? -बनाम- वकीलों का गंभीरतम अपराध

“इतने क्यों नाराज हैं वकील” यह उस आलेख का शीर्षक है जो 17 मार्च को नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ है, जिसे लिखा है सुधांशु रंजन ने।  इस
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न्याय व्यवस्था से टूटता मोह : सरकारें जल्दी चेत जाएँ ___

जिस बात का मुझे कुछ बरसों से अंदेशा था वह सामने आ ही गई।   आज अदालत ब्लाग पर खबर  है कि चंडी गढ़ में चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन
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अपराधों के अन्वेषण, अभियोजन और अदालतों की पर्याप्तता और स्वतंत्रता-स्वायत्तता के बारे में सोचा जाना जरूरी है

एस. एन. विनोद जो नागपुर के प्रधान संपादक दैनिक ‘राष्ट्रप्रकाश’ एवं समूह संपादक- मराठी ‘दैनिक देशोन्नती’  ने अपने ब्लाग चीरफाड़ पर अपने आलेख फिर फैसला हुआ, न्याय नहीं
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ई-कोर्ट प्रोजेक्ट से काम न चलेगा, अदालतों की संख्या तो बढ़ानी होगी

27 जनवरी से 8 फरवरी तक कोटा से बाहर रहा, अंतर्जाल से दूर भी। परिणाम कि तीसरा खंबा पर बीच में केवल 1 फरवरी को ही एक ही
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न्याय रोटी से पहले की जरूरत है, न्याय प्रणाली की पर्याप्तता के लिए आवाज उठाएँ

26 जनवरी, 1950 को भारत ने गणतंत्र का स्वरूप धारण किया।  गणतंत्र का अर्थ है देश का शासक अब चुनी हुई सरकार करेगी।  उस दिन जिस संविधान को
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भारत की अदालतों में तीन करोड़ दो लाख से अधिक मुकदमे लंबित

तीसरा खंबा को पूरे साल पाठकों का खूब समर्थन हासिल हुआ। इस के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद!आगे भी तीसरा खंबा को ऐसा ही समर्थन पाठकों
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क्या मैं रेगिंग की शिकायत कर सकता हूँ?

गगन गर्ग पूछते हैं …. मैं पंजाब के एक व्यावसायिक कॉलेज में  B.tech. EEE का विद्यार्थी हूँ। हाल ही में मेरे साथ  होस्टल आवासियों द्वारा रेगिंग की गई।
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कसाब को पैरवी का अधिकार क्यों दें?

भारत में किसी भी व्यक्ति को जिस पर किसी अपराध का अभियोग हो कानून के जानकार से अपनी पैरवी कराने का अधिकार है। उसे यह अधिकार भारतीय कानून
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फौजदारी अपील संक्षेपतः मेरिट पर खारिज की जा सकती है

विगत आलेख न जज, न अदालत और न ही वकील अंधे हैं पर उन्मुक्त जी की टिप्पणी थी कि –क्या फौजदारी की अपीलें भी अदम पैरवी पर खारिज
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