कानूनी सलाह : क्या वकील का मुवक्किल एक उपभोक्ता है?
|एक पाठक श्री कमल शुक्ला ने तीसरा खंबा से प्रश्न किया है कि…
“कांकेर(छत्तीसगढ़)में तीन माह से ज्यादा समय से वकीलों ने जिला ऊपभोक्ता फोरम का बहिष्कार कर रखा है । न्यायाधीश व वकीलों के टकराव के बीच वादी-प्रतिवादी पिस रहें है ।मै यह जानना चाहता हुं कि फीस प्राप्त करने के बाद भी सुनवाई के दौरान लगातार वकील के अनुपस्थित रहने पर, तथा फैसला विपरीत आने पर क्या वकीलों के खिलाफ वाद लाया जा सकता है”।
इस स्तर पर सब से पहला उत्तर तो यह है कि यदि आप समझते हैं कि आप के वकील ने आप की सेवा में कमी की है तो आप अपनी क्षतियों के लिए आप के वकील के विरुद्ध सिविल कोर्ट में अपना दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
यहाँ कमल के प्रश्न में एक प्रश्न यह और छुपा है कि क्या एक वकील का मुवक्किल उपभोक्ता है और क्या वह सेवा में त्रुटि या कमी के लिए एक उपभोक्ता अदालत के समक्ष अपना वाद ला सकता है?
तो इस प्रश्न का उत्तर है कि यह प्रश्न भारत के उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और वहाँ से निर्णय होना शेष है।
दिल्ली के एक नागरिक श्री डी. के. गांधी की शिकायत पर एक वकील के विरुद्ध यह शिकायत जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई थी कि उस के वकील ने उसे पर्याप्त सेवाएँ प्रदान नहीं कीं। उस की शिकायत पर 1988 में निर्णय देते हुए जिला मंच ने वकील को सेवा में कमी के आधार पर 3000 रुपए क्षतिपूर्ति और 1000 रुपए उपभोक्ता अदालत का मुकदमा खर्च शिकायत कर्ता को अदा करने का आदेश दिया।
इस निर्णय की अपील पर दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस निर्णय को निरस्त कर दिया। लेकिन श्री डी. के. गांधी इस मामले को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ले कर गए जिस ने माना कि डाक्टर और आर्कीटेक्ट की तरह एक वकील भी उपभोक्ता कानून से शासित होता है।
अब वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील प्रस्तुत की है जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है। इस अपील में यह तर्क उठाया गया है कि एक वकील सफलता को सुनिश्चित नहीं कर सकता क्यों कि निर्णय उसे नहीं अपितु अदालत को करना होता है जिस पर वकील का कोई नियंत्रण नहीं होता।
यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया है कि एक निचली अदालत के निर्णय के विरुद्ध ऊँची अदालत में अपील की जा सकती है। यदि मुवक्किल वकील द्वारा दी गई अपील करने की सलाह को न माने तो वकील को कैसे सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
इस से पूर्व इंडियन मेडीकल ऐसोसिएशन बनाम वी पी शान्ता के मामले में उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि प्रोफेशनल्स के पास उन के काम की एक न्यूनतम दक्षता होती है, और उन्हें उचित सावधानी बरतनी चाहिए। यदि कोई मामला उपेक्षा अथवा असावधानी का पाया जाता है तो उन्हें उपभोक्ता के समक्ष जिम्मेदार होना होगा।
जेकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य के प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय कह चुका है कि वकीलों, चिकित्सकों और आर्कीटेक्ट जैसे प्रोफेशनलों को उचित दक्षता से काम लेना चाहिए। यदि वे उपयुक्त दक्षता का उपयोग नहीं करते या लापरवाही करते हैं तो वे अवश्य ही जिम्मेदार होंगे।
घटना स्थान ,दिनांक व् समय पर मै मौजूद नहीं था परन्तु दधिबल व् सुखलाल पटेल ग्राम नक्वेल चुरहट द्वारा कुल्हाड़ी से मेरे रिश्ते से भाई (अलग अलग ग्राम के हैं परन्तु एक ही कार्यालय में काम करते हैं ) के उपर जमीनी विवाद पर दिनांक 07/06/2016 को जानलेवा हमला किया और fir में नाम भी सम्मिलित कर दिया जबकि मै कार्यालय के कार्य से रामपुर गया हुआ था जिसका विडियो क्लिप है मेरे पास जिसके सम्बन्ध में चुरहट पुलिस ने जांच भी की मेरे मौजूद होने के गवाह के आधार पर I अतः इस स्थिति में पुलिस ने सही जांच नहीं की , गलत FIR कराइ गई , झूठे गवाह की स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए मान हनी या और क्या क्या कर सकता है मेरे अधिकार मुझे पता नहीं हैं अतः मार्गदर्शन करें I
9424620948
सर मेरे भाई को4लोगो ने घर में गुस के मारा पुलिस ने ३०७,४५२,२९४,34धारा लगाई और भाई पर २३,२४ लगाई उन लोगो ने पुलिस डॉक्टर से मिलके ३२६ बननबा ली मेरा भाई 4माह से जेल में हे जबकि उन लोगो की बैल हो चुकी हे सर मेरी माँ बीमार हे मेरी भावी जी कीहालत खराब हे मेने एसपी को भी आबेदन दिया था उसकी जाँच को मगर सुनbaiनहीं हुई मेरी हेल्प kre
किन परिस्थितियों में न्यायालय 302 के अपराध में जमानत आवेदन स्वीकार कर सकता है?
प्लीज गाइड me तो रजिस्टर अ नेवसपपेर -९८२३९६८९०६
kya electricity act m civil suit bar h
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Year of appointment: 1990
Total 3 children..
Can I get ACP ?And when?
And what about promotion?
Date of birth of my children:
10-3-1992
29-07-1995
11-10-2004
माननिये वकील महोदय, यह कि मैंने अपनी भूमि के सीमाओ के पत्थर गड्डी कराने बाबत नयायालय उपखण्ड अधिकारी उदयपुरवाटी के समक्ष अपने वकील द्वारा दावा पेश कराने बाबत १५००/रु.अपने वकील को अदा कर दिए थे व दावे के दस्तावेजों पर मेरे हस्ताक्षर करा लिए गए थे जिन के प्रिंट का समस्त खर्च मैंने अदा किया था जिस का मेरे वकील द्वारा मुझे कोई प्रमाण नहीं दिया गया है अतः श्रीमान जी मै कैसे पता करूँ कि मेरा दावा उपखण्ड अधिकारी के समक्ष पेश हुआ है या मैं वकील द्वारा ठग लिया गया हूँ ! यह कि मुझे मेरा मुक्कदमा नंबर भी नहीं बताया गया है !
Sir,
1. Does a women has a right to choose her family court in her own place under HMA 13 and CRPC 125 whereas the incident took place in other state.
2. Does a not applicants father pleads his case in family court without having a law degree.
Kindly provide me the legal answer in my E-mail.
R.K.Shrivastava
Senior Citizen
Mob.No. 9300263298
sir my d v going .but wife not leaving house and stay wd me and my mom. 12yr daughter also stay. wife herress me and mom. a m ready to give alternate home but sje deny . filed 10 fales n c by dialing 100.house is owned by me and bro who lives seperate
अनिल जी आप अपनी समस्या यहाँ टिप्पणी में लिखने के स्थान पर तीसरा खंबा की कानूनी सलाह लिंक https://teesarakhamba.com/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9-2/ पर उपलब्ध फार्म पर भिजवाएँ और देवनागरी हिन्दी में न लिख सकें तो रोमन हिन्दी में लिखें तो आप को उस का समाधान प्राप्त हो सकेगा।
Thanks sir
kanuni jankari pradan krane ke liye.
Thanks सर,
Kanuni jankari pradan krane ke liye.
मेरी पुत्री का विवाह धोखे और झूठ की बुनियाद पर हुआ। ससुराल वालों ने झूठ बोल कर मेरी पुत्री की जन्मकुंडली की फोटोकापी ले ली और किसी धूर्त पंडित से मेनुप्लेट करा कर हमें लड़के की ऐसी कुंडली दे दी जिसके अनुसार हम बहकावे में आ गए। शादी के समय हमें बताया गया था कि उनके दो लड़के हैं और दोनों का जायदाद में बराबर हिस्सा है। अब मेरी पुत्री की सास कह रही है कि यह लड़का उसका नहीं है बल्कि उसकी बहन का है। सास की बहन भी यही कह रही है जबकि सारे कागजात, पहचान-पत्र और राशनकार्ड आदि में सास ही उसकी मां के रूप में दर्ज है। मेरी पुत्री ने विवाह को सफल बनाने के लिए जितना संघर्ष हो सकता था किया परंति अब हार कर उसके मुकदमे अब कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रहे हैं। पुत्री को एक बेटी भी है।
मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या मेरी पुत्री की पुत्री (नातिन) को उसके दादा की संपत्ति में से कुछ नहीं मिलेगा। आज दादा जीवित नहीं जबकि दादी जीवित है।
इन मुकदमों के चलते क्या मैं पुत्री की ससुराल वालों पर धोखा देने का मुकदमा रोहिणी कोर्ट में चला सकता हूं या नहीं। प्लीज बताएं। धन्यवाद।
सुशील जी आप अपनी समस्या यहाँ टिप्पणी में लिखने के स्थान पर तीसरा खंबा की कानूनी सलाह लिंक https://teesarakhamba.com/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9-2/ पर उपलब्ध फार्म पर भिजवाएँ तो आप को उस का समाधान प्राप्त हो सकेगा।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.धारा 409 भा.दं.संहिता किन किन पर प्रभावी हो सकती है?
है चला सकते हो
कानूनी जानकारी स-विस्तार बताने के लिये आभार !
बहुत बढिया पोस्ट.. इससे कईयों कि परेशानी हल हो जायेगी..
“यदि वे उपयुक्त दक्षता का उपयोग नहीं करते या लापरवाही करते हैं तो वे अवश्य ही जिम्मेदार होंगे।”
यह एक अच्छा निर्णय है. सफलता या विफलता किसी के हाथ में नहीं है, लेकिन समर्पण से कार्य करना उनकी जिम्मेदारी है.
बहुत सहेजने लायक जानकारी दी आपने ! धन्यवाद !
अच्छा मुद्दा है । अपने व्यवसाय के बारे में भाई लोग प्राय: ऐसी जानकारियां देने से बचते हैं । आप ठीक विपरीत व्यवहार कर रहे हैं । यही आपको सबसे अलग बनाता है ।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की जानकारी की प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद इस अच्छी जानकारी के लिये.
जानकारी बढाने का आभार
एक और कानूनी जानकारी से भरी बेहतरीन तहरीर….बहुत शुक्रिया दनिश जी
अब तो आपकी पोस्टे पढ के मेरा कानूनी ज्ञान बढाता जा रहा है!!
मेरे एक दोस्त हैं। उनहोने एक साईट खरीदा था।
पर जब वो साईट आगे बढता गया। तब उनके होस्ट प्रोवाईडर ने उस साईट को अपना कर लीया।
यानी छीन लीया। क्या वो ईसके खीलाफ कूछ कर सकते हैं? या उनका डामेन वापस मील सकता है।
साईट भारतीय कंपनी से ही खरीदा था।
जानकारी बढाने का आभार वकील साब्।