चैक बाउंस हो जाने के छह माह गुजर जाने पर या वैधता की अवधि समाप्त हो जाने पर क्या करें?
|पी. साहू ने पूछा है –
चैक बाउंस होने के छह माह गुजर जाने के बाद धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही नहीं की जा सकती। वैसी हालत में क्या जा सकता है?
उत्तर –
साहू जी,
तीसरा खंबा पर चैक बाउंस के मामलों को लेकर बहुत से आलेख लिखे गए हैं। आप चाहें तो अपनी जानकारी के लिए यहाँ चटका लगा कर उन्हें पढ़ सकते हैं। इस से आप की जानकारी में वृद्धि होगी और कभी न कभी काम आएगी।
परक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा 138 द्वारा चैक बाउंस को अपराध बनाया गया है। लेकिन उस में इसे तब तक अपराध नहीं बनाया गया है जब तक कि चैक धारक चैक के अनादरित होने की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों में चैक की राशि के भुगतान के लिए लिखित सूचना चैक दाता को नहीं देता है और सूचना प्राप्त होने के 15 दिनों में चैक दाता उस चैक की राशि का भुगतान नहीं करता है। पंद्रह दिन की अवधि की समाप्ति पर चैक अनादरण एक अपराध की शक्ल अख्तियार कर लेता है। लेकिन फिर एक पाबंदी है कि इस तरह पंद्रह दिन की अवधि समाप्त होने की तिथि के 30 दिन में अदालत के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस अवधि के उपरांत इस अपराध का परिवाद अदालत में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
एक बार चैक बाउंस हो जाने पर उसे उस की वैधता की अवधि छह माह या उस से कम यदि चैक पर अंकित हो तो उस अवधि में चैक को कितनी ही बार बैंक में प्रस्तुत किया जा सकता है। अंतिम बार चैक के अनादरण की सूचना प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन में नोटिस दिया जाना आवश्यक है। यहाँ एक बात और कि यदि चैक पहली बार अनादरित हो और उस पर यह कारण बताया जाए कि चैक दाता ने बैंक खाता बंद कर दिया है तो आप चैक को दुबारा बैंक में समाशोधन के लिए प्रस्तुत नहीं कर सकते।
अब चैक बाउंस हुए छह माह हो गए हों या चैक की वैधता की अवधि समाप्त हो गई हो तो क्या किया जा सकता है। निश्चित रूप से कोई अपराधिक परिवाद तो प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। लेकिन चैक जारी करने की तिथि से तीन वर्ष समाप्त होने तक की अवधि में उस चैक की राशि की वसूली के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन इस वाद में वादी को यह साबित करना पड़ेगा कि यह चैक किसी दायित्व के भुगतान के लिए दिया गया था। इस कारण से वाद प्रस्तुत करने के पहले चैक दाता को इस आशय का नोटिस भी देना उचित होगा कि चैक की वैधता अवधि निकल जाने के उपरांत भी आपने अपने वादे के अनुसार अपने दायित्व की राशि का भुगतान नहीं किया है। इस तरह चैक की राशि की वसूली के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि चैक पर अंकित तिथि के तीन वर्ष की अवधि में वाद निश्चित रूप से प्रस्तुत कर दिया जाए।
More from my site
7 Comments
big diary you hold
This post seems to get a great deal of visitors. How do you get traffic to it? It gives a nice individual spin on things. I guess having something useful or substantial to give info on is the most important thing.
मतलब छह माह बाद भी कोई रास्ता तो है ।
बहुत अच्छी बात बताई आप ने.
धन्यवाद
बढ़िया जानकारी…… दादा..
बहुत जरुरी जानकारी मिली.
रामराम.
ये काम की बात बताई…