द्वेषपूर्ण अभियोजन का वाद कब संस्थित करें?
अर्जुन ने बालाघाट मध्यप्रदेश से पूछा है-
एक नाबालिग लड़की के पापा और मामा ने मिल कर मुझ पर बलात्कार का आरोपलगायाजो झूठा था। कोर्ट से उस का निर्णय हो चुका है। दिनांक 20-02-2014 को मुझे दोषमुक्त कर दिया गया है। क्या मैं मानहानि केस केद्वारा उनसे हर्जाने की राशी मांग सकता हूँ?
समाधान-
आप के विरुद्ध जिन लोगों ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी आप उन के विरुद्ध द्वेषपूर्ण अभियोजन का वाद संस्थित कर सकते हैं। लेकिन किसी भी अपराधिक मामले में दोषमुक्त हो जाना मात्र पर्याप्त नहीं है। आप को अपना मामला साबित करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा-
1. कि लड़की के पापा और मामा ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई हो।
2. कि आप के विरुद्ध शिकायत समाप्त हो चुकी हो।
3. कि शिकायत बिना किसी औचित्य और उचित कारण के की गई हो।
4. कि शिकायतकर्ताओं ने शिकायत किसी दुर्भावना और द्वेष के कारण की हो जो तथ्यात्मक रूप से भी मिथ्या रही हो।
5. कि इस से आप की प्रतिष्ठा, शारीरिक सुरक्षा, सांपत्तिक सुरक्षा को हानि हुई हो।
यदि ये पाँच बातें आप के मामले में हैं तो आप क्षतिपूर्ति चाहने हेतु द्वेषपूर्ण अभियोजन का वाद संस्थित कर सकते हैं।
इस के अलावा आप चाहें तो भारतीय दंड संहिता की धारा 211 व धारा 500 के अन्तर्गत अपराधिक परिवाद भी उक्त व्यक्तियों के विरुद्ध संस्थित कर सकते हैं जिस में उन्हें दंडित किया जा सकता है।
सर,
थैंक्स फॉर इनफार्मेशन
ramesh
यदि आपको संदेह का लाभ मिला हैं तो सायद आप नहीं कर सकते है
महोदय बताये क्या ये सही है ?